सपा के समारोह को 'ऐतिहासिक' बनाने के लिए बनाई गई रणनीति!

Update: 2016-10-23 01:21 GMT

उत्तर प्रदेश के 'समाजवादी परिवार' में जारी रार के बीच सत्तारूढ़ समाजवादी (एसपी) की नवगठित प्रान्तीय कार्यकारिणी की आज हुई पहली बैठक में आगामी पांच नवम्बर को आयोजित होने वाले एसपी के रजत जयन्ती समारोह को 'ऐतिहासिक' बनाने और अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी को हर स्तर पर मजबूत करने की रणनीति पर चर्चा की गयी.

SP के रजत जयन्ती समारोह को 'ऐतिहासिक' बनाने पर चर्चा

एसपी प्रवक्ता अम्बिका चौधरी ने बैठक के बाद मीडिया को बताया कि शिवपाल यादव के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी की नयी राज्य कार्यकारिणी की आज पहली बैठक हुई, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया. उन्होंने बताया कि कार्यसमिति की बैठक में आगामी पांच नवम्बर को पार्टी के रजत जयन्ती समारोह को कामयाब बनाने और उसे 'ऐतिहासिक' स्वरूप देने पर विचार किया गया. सभी सदस्यों को इस सिलसिले में जिम्मेदारी भी दी गयी है.

चौधरी ने बताया कि राज्य विधानसभा के आगामी चुनाव में पार्टी को कामयाबी दिलाने के लिये सभी कार्यकारिणी सदस्य हर स्तर पर पूरी तैयारी के साथ मजबूती से काम करेंगे.

अखिलेश यादव ने नहीं की शिरकत

आपको बता दें कि समाजवादी परिवार में जारी खींचतान के बीच बैठकों का दौर जारी है. एसपी के प्रान्तीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कल पार्टी के जिलाध्यक्षों तथा महासचिवों की बैठक बुलायी थी. इसमें बुलावे के बावजूद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिरकत नहीं की थी. अखिलेश ने बाद में इन जिला पदाधिकारियों को अपने घर पर बुलाकर सम्बोधित किया था.

एसपी मुखिया मुलायम सिंह ने आगामी 24 अक्तूबर को प्रदेश के सभी मंत्रियों की बैठक बुलायी है, लेकिन अखिलेश ने एक चौंकाने वाले फैसले में मुलायम से पहले 23 अक्तूबर को ही विधानमण्डल दल की बैठक बुला ली है.

…तो छोड़ देंगे पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का पद

शिवपाल ने अखिलेश के साथ अपनी तनातनी के बीच शुक्रवार को जिला पदाधिकारियों की बैठक में नरम रुख अख्तियार करते हुए कहा था कि अगर अखिलेश कहें तो वह पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ देंगे. अखिलेश ही आगामी चुनाव में एसपी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे.

मालूम हो कि गत जून में माफिया-राजनेता मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी की अगुवाई वाले कौमी एकता दल के शिवपाल की पहल पर एसपी में विलय को लेकर अखिलेश की नाराजगी के बाद पार्टी में तल्खी का दौर शुरू हो गया था. कुछ दिन बाद इस विलय के रद्द होने से यह कड़वाहट और बढ़ गयी थी.

शिवपाल पार्टी से चले गये तो टूट जाएगी एसपी

शिवपाल ने कुछ दिन बाद प्रदेश में जमीनों पर अवैध कब्जों को लेकर इस्तीफे की पेशकश की थी. गत 15 अगस्त को एसपी मुखिया ने मैदान में उतरते हुए शिवपाल की हिमायत की थी और कहा था कि अगर शिवपाल पार्टी से चले गये तो एसपी टूट जाएगी.

अखिलेश ने गत 12 सितम्बर को भ्रष्टाचार के आरोप में तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रजापति तथा एक अन्य मंत्री राजकिशोर सिंह को बख्रास्त कर दिया था. ये दोनों ही एसपी मुखिया के करीबी माने जाते हैं. मुलायम के कहने पर बाद में प्रजापति की मंत्रिमण्डल में वापसी हो गयी थी. इसे मुख्यमंत्री अखिलेश के लिये करारा झटका माना गया था.

मुख्यमंत्री 13 सितम्बर को शिवपाल के करीबी माने जाने वाले मुख्य सचिव दीपक सिंघल को पद से हटाकर अपने पसंदीदा अधिकारी राहुल भटनागर को यह पद दे दिया था. उसके फौरन बाद मुलायम ने अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर वरिष्ठ काबीना मंत्री शिवपाल को यह जिम्मेदारी दे दी थी. इससे नाराज मुख्यमंत्री ने शिवपाल से उनके महत्वपूर्ण विभाग छीन लिये थे.

एसपी मुखिया के इनकार से पार्टी के युवा नेताओं में नाराजगी

अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद पर वापस लेने से एसपी मुखिया के इनकार से पार्टी के युवा नेताओं में नाराजगी की लहर दौड़ गयी और वे पार्टी राज्य मुख्यालय के सामने सड़क पर उतर आये, जिसके बाद तीन विधान परिषद सदस्यों समेत कई युवा नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निकाल दिया गया.

हाल में मुलायम द्वारा कौएद के एसपी में विलय को बहाल किये जाने सम्बन्धी शिवपाल की घोषणा को अखिलेश की एक और पराजय के तौर पर देखा गया.

समाजवादी पार्टी से निकाले गए अखिलेश समर्थक MLC उदयवीर सिंह

उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (एसपी) के प्रमुख मुलायम सिंह यादव के खिलाफ बोलने वालों के खिलाफ प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कार्रवाई फिर शुरू की. शनिवार को कार्यकारिणी की बैठक के थोड़ी ही देर बाद शिवपाल ने विधान परिषद सदस्य (एमएलएसी) उदयवीर सिंह को पार्टी से छह साल के लिए निलंबित कर दिया.

शिवपाल की अध्यक्षता में हुई कार्यकारिणी की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव भी पारित किया गया कि मुलायम के खिलाफ बयान देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उदयवीर सिंह के खिलाफ कार्रवाई के बाद प्रदेश एसपी अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि विवादित चिट्ठी लिखने वालों पर इसी तरह की सख्त कार्रवाई होगी.

अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का आग्रह

आपको बता दें कि राज्य कार्यकारिणी की बैठक से पहले ही आशंका जताई जा रही थी कि विधान परिषद सदस्य उदयवीर सिंह के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई हो सकती है. उदयवीर सिंह को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का समर्थक माना जाता है. उन्होंने मुलायम सिंह को पत्र लिखकर अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का आग्रह किया था.

एसपी से निलंबित किए जाने के बाद एमएलसी उदयवीर ने कहा कि अगर एक पिता संरक्षक है तो इसमें क्या गलत है. मुलायम सिंह के संरक्षण में ही पार्टी चल रही है. पिता संरक्षक ही होता है. अगर किसी को सेनापति बना दिया गया है तो उसे सभी हक मिलने चाहिए. बड़े और छोटे नेता की बात नहीं है. एसपी में अपनी बात रखने का सबको हक है.

मैंने जो भी लिखा उस पर कायम

उन्होंने कहा, "नेताजी जो फैसला करेंगे वो मैं मानूंगा. मैंने जो भी लिखा उस पर कायम हूं. अखिलेश जी के साथ जो हुआ वह गलत है. मैंने जो भी लिखा वह सही है. ऐसा पहले भी हुआ है कि पार्टी में लोगों को निकाला गया है. लेकिन बाद में गलती का एहसास हुआ तो वापस भी लिया गया. लेटर लिखने का कोई अफसोस नहीं है. पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता हूं."

इससे पहले, राज्य कार्यकारिणी की बैठक में लगभग सभी पदाधिकारियों की सहमति से उदयवीर सिंह के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव पास किया गया. बैठक में आर्थिक और राजनैतिक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हुए. बैठक में नेताजी पर टिप्पणी का मुद्दा छाया रहा.

राज्य कार्यकारिणी की बैठक खत्म होने के बाद शिवपाल ने कहा कि अब सभी लोग पार्टी के रजत जयंती समारोह (पांच नवंबर) की तैयारियों में जुट जाएं. लोग बेकार की बातें कर रहे हैं, पार्टी में कोई बिखराव या विवाद नहीं है.

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