होड़ में आगे कोई निकले, परेशान होगी पब्लिक

Update: 2016-11-02 01:36 GMT

लखनऊ : गुरुवार को शुरू हो रही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की समाजवादी विकास रथयात्र में ताकत दिखाने की होड़ लग गयी है। मंत्री, विधायक और अखिलेश समर्थकों पर यात्र को ऐतिहासिक बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। इस होड़ में चाहे जो आगे निकले लेकिन पब्लिक की परेशानी तय है।

अखिलेश समर्थक युवा बिग्रेड में लोहिया वाहिनी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और एमएलसी आनन्द भदौरिया का नाम प्रमुख है। भदौरिया ने मुख्यमंत्री की रथयात्र के लिए सीतापुर और लखीमपुर खीरी का प्रभार संभाल रखा है। खुद दो सौ गाड़िया की है और बाकी लोगों का समन्वय कर ढाई हजार वाहन लाने का लक्ष्य रखा है। मंगलवार को पूरे दिन वह इसी इंतजाम में व्यस्त रहे। जिस तरह दावे किये जा रहे हैं उस हिसाब से लखनऊ में बीस हजार वाहन लाने का लक्ष्य है। इसमें कुछ लोगों के दावे जमीनी न होकर सिर्फ जुबानी हो सकते हैं लेकिन इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि यात्र में वाहनों समेत भारी भीड़ उमड़नी तय है। विधायक और मंत्रियों के लिए भी यह प्रतिष्ठा का विषय हो गया है। 1शासन ने किये इंतजाम : यातायात व्यवस्था के लिए शासन ने अपने कई इंतजाम किये हैं। रास्ते में अवरोध करने वाले पेड़ काट दिए गये हैं तो बिजली के लटकते तारों को भी ऊपर किया गया है। एहतियात के तौर पर बुधवार से ही नेशनल हाइवे-25 पर कानपुर से लखनऊ, लखनऊ से कानपुर, रायबरेली से कानपुर व लखनऊ से आगरा, हरदोई से उन्नाव व रायबरेली से उन्नाव आने-जाने वाले बड़े छोटे वाहनों का रूट डायवर्जन किया गया है। समाजवादी युवजन सभा के पूर्व सचिव रतन तिवारी कहते हैं कि यह विकास का पर्व है और मुख्यमंत्री के प्रति आमजनता का प्रेम है इसलिए लोग एक-दो दिन की असुविधा बर्दाश्त कर इस ऐतिहासिक पल के साझीदार होंगे।

तो 33 किलोमीटर लंबा होगा काफिला1गुरुवार को कोई अवकाश नहीं है। वर्किंग डे में लखनऊ-कानपुर मार्ग की व्यस्तता भी जबर्दस्त रहती है। ऐसे में मुख्यमंत्री की यात्र में उमड़ने वाले वाहनों से आम नागरिकों की यात्र प्रभावित होनी स्वाभाविक है। औसतन एक किलोमीटर में एक लाइन में दो सौ वाहन चल सकते हैं। अगर तीन लाइन बने तो भी सिर्फ छह सौ वाहन एक किलोमीटर में होंगे। अगर वाकई बीस हजार वाहन यात्र में शामिल हुए तो मुख्यमंत्री का काफिला 33 किलोमीटर लंबा हो जाएगा। जाहिर है कि ऐसी स्थिति में किसी और की यात्र आसान नहीं होगी। 1शक्ति प्रदर्शन के मायने नहीं1समाजवादी कुनबे की वर्चस्व की लड़ाई में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ताकत दिखाने के लिए भले युद्ध स्तर की तैयारी चल रही है लेकिन बुद्धिजीवियों का कहना है कि सरकार के लिए शक्ति प्रदर्शन के कोई मायने नहीं होते। मुख्यमंत्री सामान्य ढंग से भी यात्र निकालकर अपना संदेश दे सकते हैं।

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