बुनियादी तालीम मजबूत कर बढ़ानी होगी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा : डा.एसवाई कुरैशी
आगे होंगे खेल, संस्कृति के विविध शैक्षिक आयोजन : अतहर नबी
लखनऊ, 8 फरवरी। साक्षरता बढ़ती है तो रोज़गार बढ़ता है। स्कूली तालीम ही नींव की ईंट है। हर तरह की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये हमें अपनी कोशिशों को और बढ़ाना होगा। ये विचार मुमताज पीजी कालेज डालीगंज के स्वर्ण जयंती समारोह में पूर्व चुनाव आयुक्त डा.एसवाई कुरैशी ने व्यक्त किये। इस अवसर पर उनके साथ अन्य मेहमानों ने कालेज में अलायंस फार इकनॉमिक एण्ड एजूकेशनल डेवलपमेण्ट आफ द अण्डर प्रिवेलेज्ड ‘एईईडीयू’ के कामन स्टडी सेण्टर का उद्घाटन भी किया।
कालेज संचालक संस्था अंजुमन इस्लाहुल मुस्लमीन के संयोजन में एईईडीयू के सहयोग से ‘शिक्षा संस्कृति और सभ्यता : अतीत वर्तमान और भविष्य के बीच सेतुबंध’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में श्री डा.कुरैशी ने कहा कि आंकड़ों के नजरिये से देखा जाये तो राष्ट्रीय साक्षरता दर 71 फीसदी है और मुसलमानों की साक्षरता 57 फीसदी ही है, जबकि ईसाई 75 प्रतिशत और बौद्धों की साक्षरता दर 71 प्रतिशत है। अपनी किताब ‘पापुलेशन मिथ.....’ उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि पढ़ी-लिखी लड़की का खानदान अनपढ़ नहीं हो सकता फिर भी मुस्लिम पुरुष साक्षरता 67 फीसदी है तो महिलाओं की केवल 50 फीसदी। उन्होंने उम्मीद जतायी कि एईईडीयू के साथ इस कालेज को लेते हुए हम स्टडी सेण्टर खोलने के बाद हम और आयामों पर भी काम करेंगे और आगे बढ़ेंगे। इससे पहले अंजुमन सचिव व कालेज प्रबंधक सैयद अतहर नबी एडवोकेट ने अतिथियों का स्वागत करते हुये आयोजन को गर्व का विषय बताते हुए कहा कि अंजुमन की निगरानी में संचालित शिक्षण संस्थानों ने बहुत तरक्की की है और यह संस्थान मील का पत्थर है। नई शिक्षा नीति को संस्कारों, रोजगार और करियर बनाने की दृष्टि से नये आयाम खोलने वाली बताते हुये उन्होंने कहा कि अब स्टडी सेण्टर उद्घाटित होने के बाद कालेज के गोल्डेन जुबली पर आगे खेलकूद, बैतबाजी, कव्वाली, ड्रामा वगैरह के आयोजन भी किये जायेंगे। अलीगढ़़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति जमीरुद््दीन शाह ने कहा कि हमें अंग्रेजी भाषा, सूचना प्रौद्योगिकी के संग अब आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस की तालीम पर ध्यान देना होगा। अगर इसमें पिछड़ गये तो भरपाई मुश्किल है। कौम और मुल्क की तरफ तवज्जो देते हुये अगर हम तब्दीली चाहते हैं तो इल्म और बुनियानी शिक्षा पर ध्यान देना ही होगा। तीन सर सैयद नेशनल स्कूल खोलने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे स्कूल हर जिले में खुलने चाहिए। स्वर्ण जयंती की बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि मुमताज कालेज को नौकरी या उद्यम के लिये तैयार छात्र निकालने चाहिए और अपने को सेंट स्टीफन जैसा ब्राण्ड बनाना चाहिए।
दिल्ली के पूर्व लेफ्टीनेण्ट गवर्नर नजीब जंग ने स्कूली शिक्षा को तरक्की की बुनियाद बताने के साथ इस बात पर खुशी जतायी कि मुमताज कालेज में 60 प्रतिशत लड़कियां पढ़ती हैं। शिक्षकों के दिमागी ओरियण्टेशन की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि केवल पढ़ाने के तरीके बदलने और सिखाने से काम चलने वाला नहीं। समुदाय को राजनीति, व्यवसाय और सरकारी नौकरियों से जोड़ने की नजर से हमें घर, मुहल्ले और शिक्षण संस्थानों में काम करना होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान केन्द्र और राज्य की सत्ता में हमारे इदारे अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं एईईडीयू मुख्य कार्यकारी अधिकारी सैयद महमूद अख्तर ने एईईडीयू के उद्देश्यों में शिक्षकों की संप्रेषण क्षमता बढ़ाने, देश भर में कामन स्टडी खोलने, कौशल विकास करने और रमजान के बाद विदेशों के सहयोग से इण्टरप्रेन्योनशिप प्रारम्भ करने की चर्चा की। उन्होंने कहा कि हम अल्पसंख्यकों को विकास का प्लेटफार्म मुहैया कराने के साथ ही महिला सशक्तीकरण पर भी काम कर रहे हैं। पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी ने अपने जोशीले वक्तव्य में कहा कि मायूसी की जरूरत नहीं, उत्तर प्रदेश से ही अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के तौर पर तालीम का आंदोलन पूरे देश और दुनिया में खड़ा हुआ था। आज के समय में विद्यार्थियों को कौशल विकास के साथ सामान्य प्रबंधन, वित्तीय प्रबंधन और मार्केटिंग सिखाने की आवश्यकता है। हमारे इदारों में जगह जमीन बहुत है पर इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी है। पहले वक्ता के तौर पर संचालंन कर रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो.इर्तिजा करीम ने कहा कि असल पिछड़ा वही होता है जो शिक्षित नहीं है। तालीम और सफाई पर हम जोर देते हैं पर इनपर हमें तबतक अमल करना है जब तक कौम का एक एक बच्चा न ऊपर आ जाए। कर्नाटक से आए हाफिज कर्नाटकी ने कहा कि विज्ञान और तकनीकी तालीम में हम आगे बढ़ सकें, इसके लिये मकसद ध्यान में रखते हुए योजनाबद्ध ढंग से काम करना होगा। सईद मुस्तफा शेरवानी का मानना था कि आज दुनिया देखने और समझने के तरीके की लड़ाई चल रही है। धारणाएं बदली जा रही हैं और इतिहास को भी दूसरी नजर से देखा जा रहा है।
सम्मेलन के क्रम में दोपहर बाद शोधपत्र प्रस्तुतियां और प्रश्नोत्तर सत्र चला और प्रमाणपत्र वितरित किये गये। सम्मेलन में बिलाल नूरानी, कफील अहमद एडवोकेट, प्राचार्य नसीम अहमद सिद्दीकी, पूर्व प्राचार्य अब्दुल रहीम, सादिया सिद्दीकी, कै.अदील सिद्दीकी, प्राक्टर डा.सलमान, फैसल हुसैन, इकबाल हमीद, असलम खां के साथ शिक्षक, विद्यार्थी और बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। बताते चलें कि सन् 1974 में मुमताज कालेज डिग्री और 2003 में स्नातकोत्तर कालेज बना था। इसे 1908 में बैरिस्टर मुमताज हुसैन ने एक विद्यालय के रूप में स्थापित किया था।