अशोक बनाम रामजी की लड़ाई में आकाश पहुंचे सियासी ‘पाताल’, समझें मायावती के एक्शन के पीछे की कहानी
बसपा का सियासी संकट खत्म कम होने का नाम नहीं ले रहा है. कांशीराम के तमाम साथी बसपा के हाथी से उतरकर दूसरे दलों की सवारी कर रहे हैं, तो पार्टी का राजनीतिक जनाधार भी दिन ब दिन सिकुड़ता जा रहा है. ऐसे में मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को बसपा के सियासी पिच पर उतारा था. मायावती ने सात साल तक आकाश आनंद को अपनी छत्रछाया में रखकर बसपा और दलित राजनीति का ककहरा सिखाया. नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपना उत्तराधिकारी तक बनाया, लेकिन रविवार को मायावती ने आकाश आनंद के हाथों से सब कुछ छीनकर सियासी अर्श से फर्श पर लाकर खड़ा कर दिया है.
मायावती ने दो साल पहले अपने भतीजे आकाश आनंद की शादी जिस बसपा के पदाधिकारी की बेटी के साथ की थी, उनके साथ सियासी रिश्ते पूरी तरह से बिगड़ गए हैं. बात कर रहे अशोक सिद्धार्थ की, जिन्हें पिछले दिनों मायावती ने बसपा से बाहर का रास्ता दिख दिया है. अशोक सिद्धार्थ को मायावती ने आकाश आनंद के पॉलिटिकल करियर को बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार ठहराया है. आकाश के ससुर ने आखिर ऐसा क्या किया कि मायावती उनको ही इन सारी परिस्थितियों का जिम्मेदार ठहरा रही हैं?
मायावती ने रविवार को आकाश आनंद को पार्टी के सभी पद से हटाकर अपने भाई आनंद कुमार और रामजी गौतम को बसपा का नेशनल कोऑर्डिनेटर बना दिया है. बसपा बैठकों में अभी तक जिस कुर्सी पर आमतौर पर आकाश आनंद बैठा करते थे, उस कुर्सी पर रामजी गौतम बैठे नजर आए. मायावती ने एक समय आकाश आनंद को राजनीतिक दांव-पेंच और बसपा के तौर तरीके सिखाने की जिम्मेदारी रामजी को सौंपी थी. रामजी गौतम बनाम अशोक सिद्धार्थ के बीच सियासी वर्चस्व की जंग ने ऐसी करवट ली कि बसपा में जो जगह आकाश आनंद की हुआ करती थी, उसे अब रामजी गौतम ने ही हथिया लिया है.
मायावती के एक्शन के पीछे की कहानी
मायावती के एक्शन के पीछे कहानी में मुख्य किरदार में अशोक सिद्धार्थ नजर आ रहे हैं, जो आकाश आनंद के ससुर हैं और दूसरे रामजी गौतम हैं, जिनको बसपा का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया है. अशोक सिद्धार्थ पर बसपा में गुटबाजी करने का आरोप है, तो दूसरे नेशनल कोऑर्डिनेटर रामजी गौतम हैं. अशोक सिद्धार्थ पर मायावती नाराज नजर आईं, तो रामजी गौतम पर मेहरबान. अशोक सिद्धार्थ और रामजी गौतम के बीच शह-मात के खेल में बली आकाश आनंद की चढ़ गई.
बसपा प्रमुख मायावती ने रविवार को पार्टी नेताओं की बैठक की और उसके बाद आकाश आनंद को सभी पदों से हटाने का फरमान जारी कर दिया. उन्होंने कहा कि कांशीराम के पदचिह्नों पर चलते हुए ही आकाश आनंद को सभी पदों से हटा दिया गया है और उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया गया है. अशोक सिद्धार्थ ने पार्टी को पूरे देश में दो गुटों में बांटकर कमजोर किया है. मायावती का मानना है कि आकाश आनंद पर कार्रवाई की जिम्मेदारी उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ की बनती है. अशोक सिद्धार्थ के कारण पार्टी का तो नुकसान हुआ ही है, आकाश आनंद का राजनीतिक करियर भी बर्बाद हो गया.
मायावती की नजर में अशोक सिद्धार्थ खलनायक के तौर पर हैं, तो दूसरी तरफ अपने भाई आनंद कुमार के साथ रामजी गौतम को भी राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर बनाकर अपने करीबी होना का संदेश दे दिया. अब रामजी गौतम और आनंद कुमार मिलकर बसपा को देशभर में मजबूत बनाने का काम करेंगे. बसपा सूत्रों की मानें तो आनंद कुमार दिल्ली में रहेंगे और पार्टी के कागजी काम देखेंगे, पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलेंगे और प्रदेश संगठनों के साथ समन्वय बनाए रखने का काम करेंगे. साथ ही रामजी गौतम पार्टी समर्थकों से जुड़ने, जमीनी रिपोर्ट एकत्र करने और मायावती के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए देश भर की यात्रा करेंगे. इस तरह अशोक सिद्धार्थ और आकाश आनंद की राजनीति पर सियासी संकट गहरा गया है तो रामजी गौतम ने अब दो नंबर पर हो गए हैं.
रामजी गौतम बनाम अशोक सिद्धार्थ
अशोक सिद्धार्थ बसपा और मायावती के लिए कोई अनजाने नहीं हैं. मायावती के वफादारों में अशोक सिद्धार्थ का नाम पहले के पहली पंक्ति के नेताओं में आता था. अशोक सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा सिद्धार्थ से ही आकाश की शादी 2023 में हुई थी. अशोक सिद्धार्थ को बसपा में मायावती के बाद सेकेंड लाइन के अहम नेता माने जाते थे. रामजी गौतम को बसपा में आगे बढ़ाने का काम एक समय अशोक सिद्धार्थ ने किया था, बुंदेलखंड क्षेत्र के कोऑर्डिनेटर के तौर पर काम करते हुए उन्हें अपने साथ लगाया था. ये बात बसपा में उस समय की है, जब वीर सिंह को मायावती का सियासी उत्तराधिकारी माना जाता था.
बसपा में वीर सिंह और जय प्रकाश की जोड़ी काफी मजबूत हुआ करती थी, जिन्हें किनारे लगाने के लिए अशोक सिद्धार्थ ने रामजी गौतम को अपने साथ लिया था. वीर सिंह और जय प्रकाश के बसपा से बाहर होने के बाद अशोक सिद्धार्थ ने मायावती से कहकर रामजी गौतम को दक्षिण भारत के राज्यों का जिम्मा दिलवाया. इस तरह अशोक सिद्धार्थ और रामजी गौतम मिलकर काम कर रहे थे. मायावती से संबंधों के भरोसे मार्च 2023 में अशोक सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा और आकाश आनंद की शादी हुई. अशोक सिद्धार्थ ने रामजी गौतम से सहारे आकाश आनंद को राजनीति में स्थापित करने का भरोसा जताया, लेकिन रामजी गौतम की महत्वाकांक्षा भी कम नहीं थी.
रामजी गौतम ने जब चली सियासी दांव
दक्षिण में काम करते रामजी गौतम ने अशोक सिद्धार्थ की तरह से अपना अच्छा खासा गुट तैयार कर लिया था और मायावती का भरोसा जीतने में काफी हद तक सफल हो गए. इसी बीच अशोक सिद्धार्थ का राज्यसभा कार्यकाल खत्म हो गया, तो मायावती ने उनके बजाय रामजी गौतम को भेजने का फैसला किया. इसके साथ रामजी और अशोक सिद्धार्थ के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया. दूसरी तरफ मायावती ने करीब सात साल तक आकाश आनंद को राजनीतिक ककहरा सीखने के लिए रामजी गौतम के साथ लगा दिया.
बसपा प्रमुख ने जून 2019 में आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी. 2022 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बसपा के स्टार प्रचारकों की सूची में मायावती के बाद आकाश का नाम दूसरे स्थान पर था. यूपी विधानसभा चुनाव में हार के बाद दिसंबर 2022 में मायावती ने पार्टी कैडर से कहा कि वो आकाश को पार्टी से जुड़े कामों की रिपोर्ट लेने के लिए अलग-अलग जिलों में भेजेंगी. आकाश आनंद को यूपी और उत्तराखंड के बाहर पार्टी के काम देखने की जिम्मेदारी भी दी गई.
रामजी गौतम और आकाश आनंद को मध्य प्रदेश और राजस्थान चुनाव की कमान मिली है. आकाश आनंद ने भोपाल में भी पैदल मार्च का नेतृत्व किया और राजभवन का घेराव करने निकले. राजस्थान के अलवर में 14 किमी लंबी पदयात्रा निकाली. आकाश ने पार्टी की ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय संकल्प यात्रा’ का नेतृत्व किया. इस यात्रा ने हर किसी का ध्यान आकर्षित किया. आकाश की मेहनत और बढ़ते कद को देखते हुए मायावती ने उन्हें इनाम भी दिया.
आकाश की रामजी गौतम से नहीं पटी
2023 में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के लिए बसपा प्रमुख ने आकाश और रामजी गौतम को पार्टी की रणनीति से लेकर प्रसार-प्रसार का काम सौंपा. यहीं से दोनों के रिश्ते बिगड़ने शुरू हो गए, क्योंकि आकाश आनंद अपनी तरह की सियासत करना चाहते थे, तो रामजी गौतम अपनी तरह की. खासकर टिकट वितरण के दौरान दोनों ही नेताओं के बीच मनमुटाव पैदा हुआ. बसपा की परंपरागत स्टाइल है, किताब वाली कहानी को रामजी गौतम अमलीजामा पहना रहे थे तो आकाश आनंद ने उसका विरोध किया. आकाश की मंशा पार्टी के जमीनी नेताओं को टिकट को देने की थी, जिसमें सफल नहीं रहे.
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मायावती ने आकाश आनंद को अपना सियासी उत्तराधिकारी बनाया तो ये बात रामजी गौतम को नहीं पची. अशोक सिद्धार्थ के जब तक आकाश आनंद दामाद बन चुके थे. कुछ शिकायतों के चलते अशोक सिद्धार्थ को मायावती पसंद नहीं करती हैं. इस बात को रामजी गौतम बखूबी समझते थे. उन्होंने आकाश आनंद को निपटाने के लिए अशोक सिद्धार्थ को ढाल बनाया. इसकी एक वजह यह भी है कि मायावती ने उन्हीं राज्यों की जिम्मेदारी आकाश को सौंपी, जिनका जिम्मा रामजी गौतम पहले से संभाल रहे थे. ये बात रामजी गौतम को काफी खली और उन्होंने अशोक सिद्धार्थ के खिलाफ सबूत जुटाना शुरू कर दिया.
अशोक सिद्धार्थ के बहाने आकाश को निपटाया
रामजी गौतम जानते थे कि अगर मायावती से आकाश आनंद के बारे में बताएंगे तो यकीन नहीं करेंगी. ऐसे में अशोक सिद्धार्थ का कांग्रेस के साथ 2024 में गठबंधन की बात करने का मामला हो या फिर मीडिया में दिए गए आकाश के इंटरव्यू. इतना ही नहीं मायावती ने हरियाणा चुनाव के बाद आकाश को दिल्ली विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी, जिसमें मायावती की अनुमति के बिना अशोक सिद्धार्थ हस्तक्षेप करने लगे थे. अशोक सिद्धार्थ के पास दक्षिण के राज्यों की जिम्मेदारी थी, लेकिन वे खुद को मायावती का करीबी रिश्तेदार बताकर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं पर अपना रुतबा जमा रहे थे.
अशोक सिद्धार्थ ने आकाश आनंद के जरिए अपना दबदबा बनाए रखने का ताना बाना बुना तो मायावती ने उन्हें फटकार लगाई. इसके बाद अशोक सिद्धार्थ ने अपने बेटे की शादी में बसपा के चुनिंदा नेताओं को बुलाया. सात फरवरी को दिल्ली के फाइव स्टार होटल में कार्यक्रम किया और उसके बाद आगरा में शादी रखी, जिसमें भी पार्टी के तमाम नेताओं को नहीं बुलाया गया. अशोक सिद्धार्थ के तौर-तरीके से पहले ही मायावती नाराज थीं, जब ये खबर लगी कि अशोक सिद्धार्थ ने अपने बेटे की शादी में पार्टी के कुछ नेताओं को बुलाया है, ऐसे में मायावती और आनंद कुमार दोनों ने अशोक सिद्धार्थ के बेटे की शादी से दूरी बना ली, लेकिन आकाश ने शिरकत की थी.
सूत्रों की मानें तो रामजी गौतम ने अशोक सिद्धार्थ की कमियों को लेकर आकाश के खिलाफ ताना बाना बुना. अशोक सिद्धार्थ के बेटे की शादी को उनका शक्ति प्रदर्शन बताकर मायावती के सामने पेश किया गया. इस तरह से मायावती ने 12 फरवरी को अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया, मायावती के इस एक्शन पर आकाश आनंद ने कोई रिएक्शन नहीं दिया. इस बात को लेकर पार्टी नेताओं ने मायावती के सामने आकाश आनंद को पूरी तरह निपटाने का हथियार बनाया. मायावती ने 17 फरवरी को ही आकाश आनंद को उनके पद से मुक्त कर दिया था, जिसकी औपचारिक घोषणा रविवार को हुई है.
अशोक सिद्धार्थ की शिकायत और बसपा में मतभेदों की बात मायावती तक पहुंचने लगी. यही वजह है कि मायावती ने खुद अपने बयान में कहा है कि अशोक सिद्धार्थ पार्टी को दो गुटों में बांटने में लगे थे. मायावती को अपने भतीजे आकाश पर भले ही भरोसा न हो, लेकिन अपने भाई आनंद कुमार पर पूरा भरोसा जताया है. उन्होंने कहा कि आनंद कुमार काफी वर्षों से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और मेरी गैरहाजिरी में पार्टी के कई काम देखते हैं. वे पूरे देश में पार्टी के लोगों से अपना पूरा संपर्क बनाकर रखते हैं. ऐसे में वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर इनको पार्टी उपाध्यक्ष बना रहने के साथ ही नेशनल कोऑर्डिनेटर भी बना दिया गया है और उनके साथ रामजी गौतम को जिम्मेदारी सौंपी जाती है.
बसपा में पूर्व सांसद रामजी गौतम का कद काफी बढ़ गया है. मायावती ने कहा कि दूसरे नेशनल कोऑर्डिनेटर रामजी गौतम पूरे देश में स्टेट में जाकर पार्टी की प्रगति रिपोर्ट लेंगे. पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिए मेरे द्वारा समय-समय पर दिए गए जरूरी दिशा-निर्देशों को लागू करवाएंगे, जहां चुनाव नजदीक होंगे वहां अपना ज्यादा समय देंगे. इस तरह रामजी गौतम ने अब बसपा में नंबर दो की पोजिशन हासिल कर ली है.