गृह मंत्री अमित शाह ने तीन समस्याएं दशकों से नासूर की तरह बन गई थीं. एक वामपंथी उग्रवाद, दूसरा पूर्वोत्तर का उग्रवाद और तीसरा आतंकवाद. पहले जम्मू कश्मीर में आतंकी आते थे और कोई त्योहार नहीं होता था जब हमले नहीं होते थे. मोदीजी के आने के बाद भी हमले हुए. उरी और पुलवामा में हमला हुआ. 10 दिन में पाकिस्तान में घर में घुसकर एयर स्ट्राइक कर जवाब दिया गया. दुनिया में इजरायल और अमेरिका की सूची में महान भारत का नाम जुड़ गया. अमित शाह ने कश्मीर में जी-20 बैठक के सफल आयोजन का जिक्र करते हुए कहा कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में यात्रा निकली थी. हमें लाल चौक जाने की परमिशन नहीं मिल रही थी. हमने जिद की तो सेना की सुरक्षा में जाना पड़ा और आनन-फानन में तिरंगा फहराकर आना पड़ा. उसी लाल चौक पर कोई घर ऐसा नहीं था जिस पर हर घर तिरंगा अभियान में तिरंगा न हो. हमने कई ऐसे कदम उठाए जिसकी वजह से आतंकियों से भारतीय बच्चों के जुड़ने की संख्या करीब-करीब शून्य हो गई है. आतंकी जब मारे जाते थे, बड़ा जुलूस निकलता था. आज भी आतंकी मारे जाते हैं और जहां मारे जाते हैं, वहीं दफना दिए जाते हैं. घर का कोई आतंकी बन जाता था और परिवार के लोग आराम से सरकारी नौकरी करते थे. हमने उनको निकालने का काम किया. आतंकियों के परिवार के लोग बार काउंसिल में बैठे थे और प्रदर्शन होने लगता था. आज वो श्रीनगर या दिल्ली की जेल में हैं. उन्होंने पथराव से लेकर ऑर्गेनाइज हड़ताल की घटनाओं के आंकड़े भी गिनाए.
अमित शाह ने नागरिकों की मृत्यु से लेकर सुरक्षाकर्मियों की मृत्यु के 2004 और 2024 के आंकड़े बताए और कहा कि जब विकास होता है तो अमन अपने आप आता है. नरेंद्र मोदी जी ने दो हजार करोड़ से अधिक की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास जम्मू कश्मीर में किया. हमने 80 हजार करोड़ रुपये रखे थे जिनमें से 51 हजार करोड़ रुपये खर्च हो गए हैं और 63 में से 53 योजनाएं पूरी तरह से क्रियान्वित हो गई हैं. एक दम आकर्षक औद्योगिक नीति लाकर कई साल बाद कश्मीर में निवेश का माहौल बना है. 12 हजार करोड़ का निवेश जमीन पर उतरा है और एक लाख करोड़ से अधिक का एमओयू हुआ है. पूरे 70 साल में 14 हजार करोड़ का निवेश आया था. आजादी के बाद सबसे ज्यादा पर्यटक जम्मू कश्मीर पहुंचे. पर्यटन पर निवेश किया गया है. डल झील में क्रूज बोट का शुभारंभ हुआ. लोकतंत्र की दुहाई दे रहे लोगों के शासन में जम्मू कश्मीर में 90 विधायक और छह सांसद होते थे. अब ग्राम से लेकर जिला तक पंचायतों में भी प्रतिनिधि चुनकर आते हैं. कश्मीर के अंदर लोकतंत्र की नींव डालने का काम पहली बार किया तो नरेंद्र मोदी ने किया. संसद में भी जब राष्ट्रपति शासन रहा, कई बिल पारित किए गए. पिछड़ा वर्ग का ओबीसी नामकरण किया, महिलाओं के लिए विधानसभा में आरक्षण किया, गुज्जर बकरवाल के लिए आरक्षण दिया, कश्मीरी विस्थापित पंडितों के लिए भी दो सीट आरक्षित किया. अवंतीपुरा में एम्स बन रहा है, निफ्ट, आईआईएम, आईआईटी जम्मू में हैं. चार मेडिकल कॉलेज से बढ़ाकर 15 किया. दुनिया देखती रह जाए, ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर का काम भी जम्मू कश्मीर में हुआ है. बनिहाल सुरंग, चिनाब पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज बना. जम्मू के लिए सेमी रिंग रोड बनाया. 11 हजार सर्किल किलोमीटर की नई एचटी लाइनें डालने का काम भी चल रहा है. जो काला चश्मा पहनकर आंखें मूंदकर बैठे हैं, उनको नजारा नहीं दिखाया जा सकता. नजर में ही आतंकी है तो आपको सपने में भी आएगा. हम तो दिखाई देते ही दो आंखों के बीच में गोली मारते हैं. हमारी सरकार न आतंक और न आतंकियों को सह सकती है. आतंकियों के लिए देश में कोई जगह नहीं है.
वामपंथी उग्रवाद को किसी ने राजनीतिक समस्या बताया. इस सोच पर तरस आता है. कोई पांच-25 साल में विकास नहीं पहुंचा सकता. कोई छूट गया होगा, इसका मतलब ये नहीं कि हम देश की व्यवस्था को ही न मानें. हिम्मत देखिए, पशुपति नाथ से तिरुपति तक कई थानों पर कब्जा कर लिया और समानांतर व्यवस्था चलाई, करेंसी चलाई. 31 मार्च 2026 को देश से वामपंथी आतंकवाद समाप्त हो जाएगा. संवाद सुरक्षा और समन्वय के सिद्धांत को आधार बनाकर हम वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने 2004 से 2014 और 2014 से 2024 के बीच उग्रवादी घटनाओं में मारे गए लोगों और सुरक्षाबलों के आंकड़े बताते हुए कहा कि कोई ये समझे कि कांग्रेस का नाम क्यों ले रहा हूं. 10 साल बाद कोई बीजेपी का गृह मंत्री आएगा तो वो हमारा और हमारा ही आंकड़ा देगा, आपका नहीं. हमसे पहले आपका शासन था, इसलिए आपके आंकड़े दे रहे हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद नक्सलियों के सरेंडर से लेकर मारे जाने की घटनाओं से जुड़े आंकड़े भी सदन में बताए और कहा कि नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 थी जिनमें से अब 12 बचे हैं और 31 मार्च 2026 को हम शून्य लेकर आएंगे.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमने नक्सलियों की आर्थिक कमर तोड़ दी और उनके फाइनेंसर खत्म किया. हमने सुरक्षाबलों के 504 कैम्प बनाए. विकास वहां पहुंचना चाहिए और हम इस साल दिसंबर से पहले पूरा नक्सल एरिया मोबाइल कनेक्टिविटी से लैस कर देंगे. 5731 डाकघर बैंकिंग सेवा के साथ खोले. हाईवे बने, आदिवासी युवाओं को भर्ती कर सुरक्षाबलों में लिया और छह नए हेलीकॉप्टर जवानों को रेस्क्यू करने के लिए लिया जो रात में भी उड़ सके. इसका नतीजा ये हुआ कि आज नक्सलवाद सिमटता जा रहा है. मारे गए लोगों में इनके प्रमुख नेता हैं जिनकी वजह से पूरा आंदोलन चरमरा गया है. हम सरेंडर के लिए लचीली पॉलिसी लेकर आए. विश्वास के साथ कहता हूं, ये सरकार रहते ही देश नक्सल समस्या से मुक्त हो जाएगा.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर की समस्या को भी हम समाप्त करने की कगार पर हैं. हिंसक घटनाओं में 70 फीसदी कमी आई है. 2019 से अब तक 12 शांति समझौते किए. उन्होंने एक-एक समझौते गिनाते हुए कहा कि 10 हजार से अधिक युवा हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटे हैं. बोडोलैंड जाकर आया हूं, हजारों हजार युवा विकास के काम में जुटे हैं. परिस्थिति बदल गई है. असम के भीतर पांच लाख करोड़ के निवेश का समझौता हुआ है. आज वहां शांति है. मिजोरम से भागकर त्रिपुरा में दयनीय जीवन जीने वाले अपने ही आदिवासी भाइयों को ब्रू रियांग समझौते के तहत घर दिया और स्किलिंग करके रोजगार के मौके दिए. सारे ब्रू रियांग भाई नरेंद्र मोदी को दुआ दे रहे हैं. 37584 लोगों को नर्क के जीवन से बाहर निकालने का काम नरेंद्र मोदी की सरकार ने किया. ब्रू भाई के घर जाकर चाय पीकर आइए तो मालूम पड़ेगा संवेदनशीलता क्या होती है. हमने पूर्वोत्तर की समृद्धि के रास्ते खोले हैं. नरेंद्र मोदी ने दिल्ली और पूर्वोत्तर के बीच दिलों की दूरी भी कम कर दिया है. चोटियों पर बसे गांव जो मानते थे कि हम भारत का अंतिम गांव हैं, मोदी जी ने एक सरल शब्द से ये भाव भर दिया है कि हम भारत का पहला गांव हैं. हमने वहां के लोगों के उत्साह में ये देखा है. दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ कठोर फैसले का माद्दा और नीति चाहिए. मोदी जी ने आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस को धार देने के लिए कानूनी आधार को भी मजबूत किया. यूएपीए में संशोधन किया गया.