मुलताई (मध्यप्रदेश) में व्यावसायिक भवनों के नक्शे बिना पार्किंग सुविधा के पास होने की समस्या
रवि खवसे, मुलताई (मध्यप्रदेश)
मुलताई (मध्यप्रदेश) में व्यावसायिक भवनों के नक्शे बिना पार्किंग सुविधा के पास होने की समस्या है, जिसके कई कारण और प्रभाव हैं। यह मुद्दा नगर निगमों, विकास प्राधिकरणों और बिल्डिंग बायलॉज के उल्लंघन से जुड़ा है।
मुलताई में कुछ बैंक, कुछ शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बिना पार्किंग के संचालित हो रहे हैं, तथा कुछ लोगों ने पार्किंग के लिए जगह बहुत कम दी है। जो वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे ग्राहको को वाहन खड़े करने में बहुत परेशानी होती है। आखिर बिना पार्किंग के बैंक कैसे संचालित हो रहे हैं। ये तो नियमों का उल्लघंन हो रहा है। सड़क किनारे वाहन खड़े करने से यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। कई बार दुर्घटना तक हो जाती है। सरकारी जमीन पर वाहन खड़े हो रहे हैं ।जबकि जिस भवन मे बैंक संचालित होती है उसकी स्वयं की पार्किंग होना जरूरी है। मुलताई में संचालित सभी बैंकों की पार्किंग व्यवस्था की जांच होना चाहिए।
कुछ बेसमेंट बिना अनुमति के बने हैं। कुछ व्यावसायिक भवनों के नक्शे बिना पार्किंग दिए पास हुए हैं। कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर पक्का अतिक्रमण कर लिया है। जांच होना चाहिए।
1. समस्या का विवरण
नक्शे बिना पार्किंग के पास: कई मामलों में, व्यावसायिक भवनों (जैसे मॉल, कार्यालय, दुकानें) के नक्शे बिना पर्याप्त पार्किंग स्थान के स्वीकृत हो रहे हैं। बिल्डिंग बायलॉज में आमतौर पर यह अनिवार्य होता है कि व्यावसायिक भवनों में आगंतुकों और कर्मचारियों के लिए पर्याप्त पार्किंग हो, लेकिन कुछ बिल्डर नियमों की अनदेखी करते हैं।
नगर निगम की लापरवाही: कुछ मामलों में, नगर निगम या विकास प्राधिकरण के अधिकारी भ्रष्टाचार, लापरवाही या अपर्याप्त निगरानी के कारण ऐसे नक्शों को मंजूरी दे देते हैं। उदाहरण के लिए, जगराओं (पंजाब) में 2024 में एक बिल्डर ने 6 दुकानों के नक्शे जमीन की फर्द के आधार पर पास करवाए, जो नियमों के खिलाफ था।
सार्वजनिक स्थान का दुरुपयोग: बिना पार्किंग के भवनों के कारण, वाहन सड़कों या सर्विस रोड पर खड़े किए जाते हैं, जिससे यातायात जाम और सार्वजनिक असुविधा बढ़ती है। एक X पोस्ट में नोएडा में मॉल और कार्यालयों द्वारा सर्विस रोड पर पार्किंग के लिए कब्जा करने की शिकायत की गई।
2. नियम और बायलॉज
बिल्डिंग बायलॉज: भारत में हर राज्य और नगर पालिका के अपने बिल्डिंग बायलॉज होते हैं, जो पार्किंग, खुला स्थान, और सुरक्षा मानकों को निर्धारित करते हैं। उदाहरण के लिए, व्यावसायिक भवनों में प्रति निश्चित क्षेत्रफल के आधार पर पार्किंग स्थान अनिवार्य होता है।
उल्लंघन: कई बिल्डर पार्किंग क्षेत्र को व्यावसायिक उपयोग (जैसे अतिरिक्त दुकानें) में बदल देते हैं, जिससे पार्किंग की कमी होती है। कपूरथला में 2021 में सैकड़ों व्यावसायिक भवनों के बिना नक्शा पास बने होने की खबर थी, जिससे राजस्व और यातायात दोनों प्रभावित हुए।
कमेटी की कमी: कुछ नगर पालिकाओं (जैसे बिंदकी) में बिल्डिंग बायलॉज बनाने वाली कमेटी का अभाव है, जिसके कारण नियमों का पालन नहीं हो पाता।
3. प्रभाव
यातायात जाम: पार्किंग की कमी से सड़कों पर अवैध पार्किंग होती है, जिससे ट्रैफिक जाम की समस्या बढ़ती है।
राजस्व हानि: बिना नक्शा पास या गलत नक्शा पास होने से नगर निगम को शुल्क और कर में नुकसान होता है। सिद्धार्थनगर में 80-85% भवनों के बिना नक्शा पास बने होने की बात सामने आई।
सुरक्षा जोखिम: अमानक निर्माण से भवन दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता है। बिंदकी में नजूल भूमि पर रिहायशी भवनों को व्यावसायिक में बदलने की शिकायतें थीं।
4. कारण
भ्रष्टाचार और मिलीभगत: कुछ मामलों में, अधिकारियों और बिल्डरों की मिलीभगत के कारण नियम तोड़े जाते हैं। जगराओं में फर्द पर नक्शा पास करने का मामला इसका उदाहरण है।
निगरानी की कमी: नगर निगम की टीमें अक्सर निर्माण स्थलों की नियमित जांच नहीं करतीं, जिससे अवैध निर्माण बढ़ता है।
जागरूकता की कमी: कुछ बिल्डरों और भूस्वामियों को नियमों की पूरी जानकारी नहीं होती, और वे नक्शा पास कराने से बचते हैं।
5. समाधान
कठोर कार्रवाई: नगर निगम और प्राधिकरणों को बिना नक्शा पास या अपर्याप्त पार्किंग वाले भवनों पर नोटिस, जुर्माना, और सीलिंग जैसी कार्रवाई करनी चाहिए। झज्जर में 2022 में 8 अवैध निर्माण सील किए गए थे।
ऑनलाइन सिस्टम: हरियाणा में ऑनलाइन बिल्डिंग प्लान अप्रूवल सिस्टम (होबपास) लागू है, जो पारदर्शिता बढ़ाता है।
जागरूकता अभियान: भूस्वामियों और बिल्डरों को बायलॉज और पार्किंग नियमों के बारे में जागरूक करने की जरूरत है।
निगरानी बढ़ाना: नियमित सर्वे और सत्यापन टीमें गठित की जानी चाहिए, जैसा कि 2017 में एक जिले में 49 टीमों ने किया था।