लखनऊ : 13,500 करोड़ का एमओयू करने वाला ठेकेदार निकला ठग... भाग रहा था विदेश, ईडी ने एयरपोर्ट से दबोचा
उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में 750 डाटा सेंटर बनाने का जिम्मा लेने को आगे आई कंपनी व्यूनाउ मार्केटिंग सर्विसेज लिमिटेड और व्यूनाउ इंफ्राटेक फर्जी निकली। कंपनी के प्रबंध निदेशक ने कागजों में फर्जीवाड़ा कर अफसरों की आंखों में धूल झोंक एमओयू की चाल चली।
शीर्ष अधिकारियों ने कंपनी की कुंडली नहीं खंगाली। इसी एमओयू की आड़ में मास्टरमाइंड सुखविंदर सिंह खरोर ने अपनी टीम के साथ 3558 करोड़ निवेशकों से बटोर लिए। विदेश भागने से पहले ईडी ने उसे पत्नी सहित इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया।
कंपनियों का इतिहास और हकीकत जांचने के स्पष्ट निर्देश
बता दें कि निवेश के मामले में भी सरकार ने गलतियां रोकने के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति को लागू किया था और उसके आधार पर ही निवेश के प्रस्तावों को मंजूरी भी दी जा रही है। इसके मद्देनजर ही उच्चस्तर से वैश्विक निवेशक सम्मेलन में निवेश का समझौता करने वाली सभी कंपनियों का इतिहास और हकीकत जांचने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
परीक्षण में संदिग्ध पाई जाने की स्थिति में कंपनियों द्वारा किए गए एमओयू को रोकने या रद्द करने के भी निर्देश दिए गए हैं। लेकिन डाटा सेंटर के लेकर किए गए एमओयू में अधिकारी गच्चा खा गए। 20 नवंबर 2022 को तत्कालीन मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की मौजूदगी में व्यूनाउ के एमडी और मास्टरमाइंड सुखविंदर सिंह खरोर ने एमओयू किया था।
बिग डाटा टेक्नोलाजी के उपयोग की तैयारी थी
13,500 करोड़ रुपये के एमओयू के तहत व्यूनाउ इंफोटेक को प्रदेश के सभी जनपदों में डाटा सेंटर स्थापित करना था। मुख्य सचिव ने कहा था कि एमओयू के बाद प्रदेश में एज सेंटर का दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क स्थापित होगा। इन्हीं डाटा सेंटरों की मदद से भविष्य में 5जी नेटवर्क, ब्लॉकचेन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डाटा टेक्नोलाजी के उपयोग की तैयारी थी।
निवेशकों को एमओयू की आड़ में फंसाया
एमओयू के दौरान मास्टरमाइंड सुखविंदर सिंह ने बताया था कि उनकी कंपनी राज्य के सभी 75 जिलों में 750 डाटा सेंटर बनाएगी। राज्य सरकार के साथ इस एमओयू को उसने जमकर भुनाया। इसकी आड़ में उसने ''क्लाउड पार्टिकल घोटाला’ कर दिया। निवेशकों को फर्जी ''सेल एंड लीज-बैक'' मॉडल के जरिए फंसाया गया।
इसके तहत डाटा सेंटर की स्टोरेज क्षमता को छोटे-छोटे हिस्सों में लीज पर देने का आफर दिया। दांव काम आ गया और बाजार से हजारों करोड़ रुपये निवेश के रूप में आ गए। सुखविंदर ने उस रकम से डाटा सेंटर लगाने के बजाय विदेशों में भेजा। इस संबंध में प्रवर्तन निदेशालय ने नोएडा पुलिस द्वारा दर्ज की गई एक एफआईआर के बाद अपनी जांच शुरू की।
कागजों में बढ़ा चढ़ा कर कंपनी की हैसियत दिखाई
ईडी की जांच में सामने आया कि व्यूनाउ ग्रुप के संस्थापक सुखविंदर सिंह खरूर ने क्लाउड पार्टिकल टेक्नोलॉजी के नाम पर निवेशकों से भारी रकम जुटाई। फिर इसे निवेशकों को गुमराह करने के लिए कागजों में बढ़ा चढ़ा कर कंपनी की हैसियत दिखाई।
डाटा सेंटरों की अलग-अलग जिलों में लगाने की फर्जी सूचनाएं दीं और 3,558 करोड़ रुपये की रकम निवेशकों से ऐंठ ली। रविवार को सुखविंदर अपनी पत्नी डिंपर खरोर के साथ विदेश भागने की फिराक में था लेकिन इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ईडी ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।