Janta Ki Awaz

भोजपुरी कहानिया - Page 31

तू प्यार है किसी और की... (कहानी)

26 May 2017 3:09 PM GMT
शहर-ए-बलिया में जब महीना जेठ का हो, और उसमें पहली बारिश हो, तो इसे शुभ माना जाता है। कहते हैं यही बारिश अधपके आमों में मिठास और पियरी रंगत भरती है।...

बाबा चुमण्डल का मन : सर्वेश तिवारी श्रीमुख

26 May 2017 3:06 PM GMT
बाबा चुमण्डल का मन टनाटन था। सहारनपुर कांड ने जैसे उनके अंदर जान फूंक दी थी। आज महीनों बाद उन्हें इतनी साफ किरान्ति हुई थी, कि पूरा सचिवालय गूंज और...

"आर्केस्टा"..............: धनंजय तिवारी

24 May 2017 7:35 AM GMT
ऑफिस से अयिले मुश्किल से दस मिनट भईल होई जब टेलीफोन के घंटी बाजल। फ़ोन गाँव से भाई साहब कईले रहिनी। "खुश रह। पिंटू के शादी तय हो गईल...

शाम से आँख में नमी सी है....

24 May 2017 12:47 AM GMT
महीना चैत का है और मौसम मेहनत का। इसी महीने में पता चलता है कि पेट इश्क़ से नहीं, गेहूँ सरसों और अरहर से भरता है। पकी हुई फसलों को जल्दी से घर में ले...

असित कुमार मिश्र बेवफा है।

22 May 2017 2:59 PM GMT
एक पढ़ा लिखा और काबिल युवक जब नौकरी मांगता है, तो बहुत क्रोध आता है। अमां मियां, ईश्वर ने आपको एक अच्छे, शिक्षित, सम्पन्न और शोषक परिवार में जन्म दिया,...

"धोखा-भाई"

21 May 2017 1:42 PM GMT
दुनिया भले बीएचयू को भारत का सबसे बड़ा शिक्षण संस्थान मानती हो पर रुद्र प्रताप सिंह आज भी उसे अपने प्रेम का कत्लगाह ही मानते हैं। पछुआ हवा के प्रत्येक...

फिर एक कहानी और श्रीमुख "सेनापति"

20 May 2017 11:50 AM GMT
गंगा के किनारे बसा एक गांव, पहलवान जैसे चार व्यक्तियों की पकड़ में छटपटाता एक बालक चीख रहा था- मेरे पिताश्री को छोड़ दो, मेरी माँ को छोड़ दो... आठ साल का...

जब मैं 10th में था तब... : - सुमित सुमन

20 May 2017 2:54 AM GMT
पता नहीं कौन सी नाव थी वो जो हमेंशा कभी धारा की दिशा में तो कभी धारा के विपरीत दिशा में चलती थी, और हमारी नैया डुबा दिया करती थी।एक खास ट्रेन भी हुआ...

आलोक पुराण १३ "इश्क का पोस्टमार्टम"

19 May 2017 11:50 AM GMT
शाम का समय था, आलोक पाण्डेय खटिया पर बैठ कर खजुअट खजुआ रहे थे। खजुअट आलोक पाण्डेय का सबसे विश्वस्त और निष्ठ साथी है। प्रत्येक वर्ष कातिक के महीने में...

(भोजपुरी कहानी) भीख

19 May 2017 2:32 AM GMT
मजदूर मंडी के नियम-कानूनों से अनजान था वह। मदन नाम था। मंडी में सबसे अपरिचित, बिल्कुल अलग-थलग। उसका वहाँ कोई अपना था भी नहीं लेकिन उसकी निगाहें कुछ...

भोजपुरी कहानी : "बेटी "

17 May 2017 12:31 PM GMT
"का कहले ह मौसाजी पापा?" आकुल होके राज पूछले।"उहे जवन बाकि लोग कहल ह। उनहू के हाथ खाली बा।" कहिके संदीप कुर्सी पे धम्म से बैठ गईले।अब त उम्मिद...
Share it