हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है. प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है. यह तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है. त्रयोदशी तिथि महीने में दो दिन पड़ती हैं. पहली तिथि शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में. इसलिए प्रदोष व्रत प्रत्येक महीने में 2 बार रखे जाते हैं और साल में कुल 24 बार प्रदोष व्रत रखे जाते हैं.
जून माह का पहला प्रदोष व्रत 7 जून, सोमवार को पड़ रहा है. सोमवार के दिन पड़ने के कारण यह सोम प्रदोष व्रत है. प्रदोष व्रत भोलेशंकर भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को करने वाले जातकों की मनोकामनाएं भोलेनाथ पूरी करते हैं और पाप-कष्टों का नाश होता है. कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण पूजा घर पर ही करें. हालांकि कई जगह लॉकडाउन खुल गया है लेकिन मंदिर जैसे सर्वाजनिक स्थल पर जाना अभी भी सेफ नहीं है.
शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत निर्जला रखा जाता है इसलिए इस व्रत में फलाहार का विशेष महत्व होता है. प्रदोष व्रत को पूरे दिन रखा जाता है. सुबह नित्य कर्म के बाद स्नान करें. व्रत संकल्प लें. फिर दूध का सेवन करें और पूरे दिन उपवास धारण करें.
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:
हिंदू पंचांग के मुताबिक़, जून माह का पहला प्रदोष व्रत ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 7 जून को सुबह 08 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर 08 जून 2021 दिन मंगलवार को सुबह 11 बजकर 24 मिनट तक रहेगी. प्रदोष काल सूर्यास्त के 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक होता है.
प्रदोष व्रत पूजा विधि:
प्रदोष व्रत करने वाले जातकों को सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और नहा-धोकर पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव का भजन कीर्तन और आराधना करनी चाहिए. इसके बाद घर के ही पूजाघर में साफ-सफाई कर पूजाघर समेत पूरे घर में गंगाजल से पवित्रीकरण करना चाहिए. पूजाघर को गाय के गोबर से लीपने के बाद रेशमी कपड़ों से मंडप बनाना चाहिए. इसके बाद आटे और हल्दी की मदद से स्वस्तिक बनाना चाहिए. व्रती को आसन पर बैठकर सभी देवों को प्रणाम करने के बाद भगवान शिव के मंत्र 'ओम नमः शिवाय' का जाप करना चाहिए. इसके बाद मां पार्वती को सिन्दूर, बिंदी अर्पित करनी चाहिए. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)