वेद माता यानी गायत्री माता की जयंती, जानें तिथि एवं महत्व, इस तरह से करें मंत्र का जाप
हिंदू समाज में, किसी भी शुभ कार्य पर गायत्री माता के मंत्रों का जाप किया जाता है। कहा जाता है कि माता गायत्री की पूजा करने से ज्ञान, शक्ति, यश, धन, सौंदर्य, समृद्धि आदि में बरकत होती है। त्रिमूर्ति देव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की देवी माने जाने वाली माता गायत्री अत्यंत कल्याणकारी देवी हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, माता गायत्री ब्रह्मा जी की पत्नी हैं।
जानकार बताते हैं कि माता गायत्री सभी वेदों की देवी हैं इसीलिए उन्हें वेद माता कहा जाता है। इतना ही नहीं मां गायत्री माता सरस्वती, पार्वती और लक्ष्मी का अवतार भी हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों में मां गायत्री को समस्त सात्विक गुणों का रूप कहा गया है। कहा जाता है कि इस सृष्टि में जितने भी सद्गुण मौजूद हैं वह सब मां गायत्री की कृपा है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर मां गायत्री का अवतरण हुआ था। इस तिथि को गायत्री जयंती के नाम से भी जाना जाता है, गायत्री समाज के लोग इस दिन श्रद्धा-भाव के साथ माता गायत्री की पूजा करते हैं।
दक्षिणी भारत में गायत्री जयंती को श्रावण मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है। मगर जानकार बताते हैं कि वास्तविक गायत्री जयंती ज्येष्ठ मास में ही मनाई जाती है।
गायत्री जयंती शुभ मुहूर्त:
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि आरंभ- 20 जून 2021 दिन रविवार शाम 04 बजकर 21 मिनट से.
उदया तिथि 21 जून को है इसलिए गायत्री जयंती आज मनाई जा रही है.
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि समाप्त- 21 जून 2021 दिन सोमवार दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04 बजकर 04 मिनट से लेकर 04 बजकर 44 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- प्रातः 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से शाम 03 बजकर 39 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शामि 07 बजकर 08 मिनट से 07 बजकर 32 मिनट तक
अमृत काल- सुबह 08 बजकर 43 मिनट से सुबह 10 बजकर 11 मिनट तक.
गायत्री मंत्र का अर्थ:
ॐ - ईश्वर , भू: - प्राणस्वरूप , भुव: - दु:खनाशक, स्व: - सुख स्वरूप, तत् - उस , सवितु: - तेजस्वी, वरेण्यं - श्रेष्ठ, भर्ग: - पापनाशक, देवस्य - दिव्य, धीमहि - धारण करे, धियो - बुद्धि ,यो - जो, न: - हमारी , प्रचोदयात् - प्रेरित करे. इसे अगर जोड़कर देखा जाए तो इसका अर्थ होगा- 'उस, प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुख स्वरुप, तेजस्वी, श्रेष्ठ, पापनाशक, दिव्य परमात्मा (ईश्वर) को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें. जो हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे.
वेद माताज्ञान, शक्ति, यश, धन, सौंदर्य, समृद्धि आदि की देवी मानी जाती हैं। उन्हें साक्षात मां दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती का अवतार माना गया है। कहा जाता है जो भक्त गायत्री जयंती पर मां गायत्री की उपासना श्रद्धा-भाव से करता है उसे सभी देवियों का बराबर फल मिलता है। माता गायत्री की कृपा से ज्ञान की प्राप्ति होती है इसके साथ वह जीवन में सही मार्ग का बोध करवाती हैं। मां गायत्री की पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जानकार बताते हैं कि गायत्री मंत्र का जाप करने से तथा मां गायत्री की आराधना करने से वह रक्षा कवच बनाकर अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।
मां गायत्री की पूजा के बाद गायत्री मंत्र का जाप करते समय रीढ़ की हड्डी सीढ़ी करके कुश के आसन के आसन पर पालथी मारकर बैठने की मुद्रा में जाप करना चाहिए. गायत्री मंत्र का जाप करने से पहले शरीर की शुद्धि कर लेनी चाहिए. इसके लिए सुबह नहाने धोने के बाद ही जाप करना चाहिए. मंत्रों का जप करते समय उच्चारण का काफी महत्व होता है. इसलिए आहिस्ता आहिस्ता मंत्र का जाप करना चाहिए.अगर आप माला से जाप करना चाहते हैं तो तुलसी के 108 मानकों की माला से भी गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं