आज गणेश चतुर्थी, महत्व, पूजन विधि, व्रत कथा

Update: 2021-06-27 02:12 GMT

पंचांग के अनुसार 27 जून 2021, रविवार का दिन महत्वपूर्ण है. इस दिन विघ्नहर्ता की पूजा का विशेष योग बन रहा है. इस दिन आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है. इस चतुर्थी की तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस दिन गणपति बप्पा की विधि पूर्वक पूजा करने से जीवन में आनी वाले विघ्न यानि परेशानियां दूर होती हैं.

पौराणिक मान्यता के अनुसार आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी को कृष्णपिंगाक्ष भी कहते हैं. इस दिन भगवान गणेश जी के कृष्णपिंगाक्ष अवतार की पूजा की जाती है. कृष्णपिंगाक्ष का अर्थ सांवला, धुआं और नेत्र से है.

हिंदू संस्कृति में किसी भी कार्य की सफलता के लिए सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। गणेश के पूजन से भक्तों को सुख, समृद्धि और यश प्राप्ति होती है। वह सभी संकट से दूर करते हैं। मान्यताओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी का व्रत करने से या फिर इस दिन गणपति की पूजा-अर्चना करने से सभी बिगड़े कार्य बन जाते हैं। साथ ही भगवान गणेश संकटों को दूर करते हैं।

इस दिन पूजन से पूर्व नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर पवित्र आसन पर बैठें। फिर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजन सामग्री पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि एकत्रित कर क्रमश: भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें दूर्वा (पूजा करने वाली घास) जरूर अर्पित करें। मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। पूजा के उपरांत सभी देवी-देवताओं का स्मरण करें। पूजा के अंत में गणेश जी की आरती करें। फिर प्रसाद का वितरण करें। अगले दिन दान-पुण्य कर व्रत का पारण करें।

व्रत कथा

एक दिन माता पार्वती नदी किनारे भगवान शिव के साथ बैठी थी। उनको चोपड़ खेलने की इच्छा हुई, लेकिन उनके अलावा कोई तीसरा नहीं था, जो खेल में हार जीत का फैसला करे। ऐसे में माता पार्वती और शिव जी ने एक मिट्टी की मूर्ति में जान फूंक दी और उसे निर्णायक की भूमिका दी। खेल में माता पार्वती लगातार तीन से चार बार विजयी हुईं, लेकिन एक बार बालक ने गलती से माता पार्वती को हारा हुआ और भगवान शिव को विजयी घोषित कर दिया।

इस पर पार्वती जी उससे क्रोधित हो गईं। क्रोधित पार्वती जी ने उसे बालक को लंगड़ा बना दिया। उसने माता से माफी मांगी, लेकिन उन्होंने कहा कि श्राप अब वापस नहीं लिया जा सकता, पर एक उपाय है। गणेश चतुर्थी के दिन यहां पर कुछ कन्याएं पूजन के लिए आती हैं, उनसे व्रत और पूजा की विधि पूछना। तुम भी वैसे ही व्रत और पूजा करना। माता पार्वती के कहे अनुसार उसने वैसा ही किया। उसकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान गणेश उसके संकटों को दूर कर दिया।

 

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