ऐतिहासिक है पल।
स्मरण रहेगा चिरकाल।।
स्वर्णिम यह विजय।
नीरज किया कमाल।।
तरसी थी जो आंखें।
निहारते अद्भुत क्षण।।
मां भारती का ' रत्न '।
पदक दिलाया स्वर्ण।।
दृढ़ निश्चय कर लक्ष्य भेदा।
भाला चिरता पहुंचा गगन।।
तुम ऊर्जा के शक्ति पुंज हो।
तेरे अंदर भरी है लगन।।
तय कर लिया सफ़र।
पथ था वो बेमिसाल।।
संपूर्ण देशवासियों का।
गर्व से ऊंचा हुआ भाल।।
.....अभय सिंह