विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अक्सर चुनावी सभा में मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले की तीखी आलोचना के लिए खजांची नामक नवजात का खूब जिक्र करते हैं. यह वही खजांची है, जो बैंक लाइन में खड़ी अपनी मां के पेट से पैदा हुआ था.
हालांकि, जिस खजांची के नाम और उसको दो लाख रुपए मदद का इस्तेमाल कर अखिलेश सरकार वाहवाही लूट रही है, वह पैसा अब तक उस गरीब परिवार के पास नहीं पहुंचा है. आज भी वह परिवार करीब डेढ़ महीने से बैंक का धक्का खा रहा है, लेकिन नोटों की एक झलक नहीं पा सका है.
ढाई महीने का खजांची अभी बोल नहीं पाता है. उसे यह भी नहीं पता कि उसके नाम का इस्तेमाल कर राजनेता अपनी छवि चमका रहे हैं. उसकी मां ने अपने बेटे के पैदा होने पर खुद को खुशकिस्मत समझा था. वजह भी सही थी कि बेटे ने पैदा होते ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से 'असंभव' मुलाकात करा दी और साथ में दो लाख रुपए का चेक भी दिलवा दिया.
2 दिसंबर की तारीख थी. पांच बच्चों की मां 35 साल की सर्वेशा गर्भावस्था के अंतिम दिनों में थी. बैंक उनके घर से तीन किलोमीटर दूर था. ऐसे में इस दूरी को कानपुर के मंगलपुर थाना में सरदारपुरवा गांव की सर्वेशा ने अपनी सास शशि देवी के साथ पैदल तय किया था.
जब उनसे यह पूछा गया कि भला अखिलेश यादव अपनी चुनावी सभाओं में खचांची का नाम क्यों लेते हैं, इस महिला ने कहा कि मुख्यमंत्री साहब ने उन्हें मिलने के लिए लखनऊ बुलाया था. वहां हमें दो लाख रुपए का चेक मिला, लेकिन वह डीएम के नाम था. ऐसे में हमें डीएम के पास जाना पड़ा. फिर डीएम ने उस चेक को हमारे नाम किया. हमने चेक को करीब डेढ़ महीने पहले जमा किया था, लेकिन आज तक पैसे नहीं मिले. बैंक जा-जाकर थक गए, लेकिन अब तक हाथ में पैसे नहीं आए.