समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को लगातार चुनाव प्रचार करने के बावजूद प्रेस कान्फ्रेंस क्यों करनी पड़ी, एक सहज प्रश्न हर व्यक्ति के मन मे आना स्वाभाविक है। इस प्रेस का समय कई बार बदला गया। सबसे पहले यह प्रेस सुबह 10 बजे होनी थी, फिर इसका समय 3 बज कर 30 मिनट किया गया, फिर इसका समय बदल कर 5 बज कर 30 मिनट किया गया और फिर इस प्रेस का समय बादल कर 6 बज कर 15 मिनट करना पड़ा। तब जाकर यह प्रेस हो पाई। मुझे एक बात समाज मे नहीं आई कि जब पार्टी के वरिष्ठ लोगों को मालूम था कि हर रोज वे कम से कम 7 चुनावी सभाएं कर रहे हैं, तो वे शाम को 6 बजे के पहले प्रेस कैसे कर सकते हैं ? इससे एक ही फायदा नजर आता है कि इसके बहाने लगातार उनकी प्रेस लोगों के जेहन मे बनी रही और लोगों की इस प्रेस की उत्सुकता बढ़ती गई कि कौन सी ऐसी बात है, कि उन्हे प्रेस करना इतना जरूरी है। इस विचार के आने के पीछे जो मूल कारण है वह यह है कि 4 चरण के चुनाव समाप्त हो गए,इसके बाद वे प्रेस करने जा रहे थे। खैर मैं उन कारणों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ, जिसके कारण यह प्रेस आयोजित की गई ।
1. अपनी बात को जन-जन तक पहुंचाना – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष इस समय जो जो कुछ मंचों से बोल रहे हैं, वह उसी क्षेत्र के मीडिया द्वारा लिखा जा रहा है। उन्हे लगा कि वे मंचों से जो कुछ बोल रहे हैं, उसकी जानकारी प्रदेश के सभी हिस्सों के नागरिकों को होनी चाहिए। अन्यथा इनका उस स्तर पर फायदा नहीं मिलेगा, जिस स्तर पर मिलना चाहिए। इसी कारण उन्होने प्रदेश की राजधानी मे प्रेस करके अपनी बात को सिर्फ प्रदेश के नागरिकों को ही नहीं, देश के सामने रखने के लिए प्रयास किया ।
2. विपक्षियों को जवाब देना – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को यह लग रहा था कि प्रदेश कार्यालय पर जो प्रेस हो रही है, उसका प्रभाव इस प्रदेश की जनता पर उतना नहीं पड़ रहा है, जितना होना चाहिए। जबकि विपक्ष की जो प्रेस हो रही है, वह व्यापक स्तर पर अपना प्रभाव फैलाने मे कामयाब हो रही है। इसी कारण उन्होने प्रेस करके विपक्षियों को जवाब देने और एक व्यापक परिप्रेक्ष्य मे अपनी बात पहुँचाने के लिए प्रेस कान्फ्रेंस किया ।
3. आरोपों का खंडन करना – विपक्ष द्वारा उन पर प्रेस के माध्यम से जो आरोप अखिलेश एवं उनकी सरकार पर लगाए जा रहे थे, उन आरोपों का खंडन करना जरूरी था। उन्हे यह भी पता है कि यदि उन आरोपों का खंडन राजेन्द्र चौधरी कर रहे है, तो वह उतना वजनदार नहीं माना जा रहा है, जितना होना चाहिए। इसलिए एक अधिकृत व्यक्ति के बजाय उन्होने खुद आरोपों का खंडन करणे के लिए प्रेस कान्फ्रेंस किया ।
4. अपने किए गए कार्यों को प्रमाणित करना – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस प्रेस कान्फ्रेंस मे तमाम वे काम गिनाए, जो उनकी सरकार ने किए हैं। गिनाने की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि बसपा और भाजपा दोनों की सभाओं मे उन पर ऐसे प्रश्न उठाए जा रहे हैं कि उन्होने कुछ किया ही नहीं है। इसलिए एक बार फिर उन्हें झुठलाने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था। ऐसा सोच कर उन्होने यह प्रेस कान्फ्रेंस की ।
5. मोदी को चुनौती देना जरूरी – इस समय प्रदेश की जनता केवल तीन नेताओं के भाषणों को सीरियसली ले रही है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को। नरेंद्र मोदी प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से तमाम सवाल अपने मंचों से पूछ रहे हैं, वे ऐसे प्रश्न है, जिनका विकास कार्यों से कोई लेना-देना नहीं है। वह सिर्फ लोगों को मुद्दों से भटकाने के लिए है। इसी कारण उन्हे मोदी को चुनौती देनी पड़ी, कि मोदी जी विकास के मुद्दे पर, उपलबधियों के मुद्दे पर कहीं भी, और कभी भी खुली बहस कर सकते हैं।
6. बिजली के मुद्दे पर अपना पक्ष रखना – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को ऐसा लग रहा था कि उन्हे विपक्ष बिजली के मुद्दे पर घेरने का प्रयास कर रहा है। इसलिए उन्हे बिजली की भाषा मे ही जवाब देने की जरूरत है। इसी कारण उन्होने काशी मे 24 घंटे बिजली मिल रही है कि नहीं, इस पर प्रधानमंत्री को घेरा। गोरखपुर वाले बाबा के सवाल पर मज़ाकिया लहजे मे कहा कि बिजली आती है या नहीं,तार छू कर देख लें। इसके साथ ही साथ यह भी स्थिति साफ की कि हमने गावों मे 16 से 18 घंटे और शहरों मे 22 से 24 घंटे बिजली देने का काम किया है।
7. अपना पक्ष रखना – समाजवादी पार्टी ने इस प्रेस कान्फ्रेंस मे अपना पक्ष रखा कि वे जितनी सभाओं मे जाते हैं, उन सभी मे उनकी सरकार ने इस प्रदेश मे और उस क्षेत्र मे क्या-क्या कार्य किए यह बताने का काम करते हैं। इसके अलावा वे उनके लिए अगली सरकार मे क्या करने वाले हैं, यह भी बताते हैं। जबकि विपक्षी दल बेमतलब के इश्यू जनता को भटकाने के लिए पैदा करते हैं।
8. कथनी-करनी मे कोई फर्क न होना – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपनी प्रेस कान्फ्रेंस मे यह बताने की कोशिश की कि वे अपने मंचों से वही बोलते हैं, जो उन्होने किया है, और वह बोलते हैं, जो करने वाले हैं। जबकि विपक्ष के लोग जनता की भावनाओं को उभार कर वोट लेना चाहते हैं। इससे उनकी विश्वसनीयता बढ़ी है।
9. अपनी कल्याणकारी योजनाओं मे कोई भेदभाव नहीं करना – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर विपक्ष बार-बार यह आरोप लगा रहा था कि उन्होने अपनी कल्याणकारी योजनाओं मे अपने चहेतों को लाभ पहुंचाया है। इसका उन्होने जोरदार तरीके से खंडन किया और भाजपा सहित सभी विपक्षी दलों से कहा कि यदि ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान मे हो तो बताएं, हम उस पर कार्रवाई करेंगे। उनके संज्ञान मे कोई मामला नहीं है।
इसके अलावा कुछ अन्य छोटे-मोटे कारण और भी हैं, मतदान शुरू हो चुका है, उन कारणों को जानने के लिए आप मेरे किसी अन्य लेख मे उसे पढ़ लेना ।
(यह लेख मेरी मौलिक रचना है। इसके किसी अंश का हूबहू प्रकाशन जनता की आवाज और लेखक की अनुमति के बगैर करना अवैधानिक है। )
प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव
विश्लेषक, भाषाविद, वरिष्ठ गांधीवादी-समाजवादी चिंतक व पत्रकार