नई दिल्लीः बिहार में महागठबंधन से अलग होकर BJP के साथ सरकार बनाने के नीतीश कुमार के फैसले से नाराज चल रहे जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव पर पार्टी कार्रवाई का मन बना रही है. बिहार में शरद यादव के दौरे और कार्यक्रम को पार्टी पहले ही विरोधी गतिविधि बता चुकी है. ऐसे में जेडीयू अपने पूर्व अध्यक्ष शरद यादव पर कोई बड़ा फैसला ले सकती है. आपको बता दें कि बुधवार को भी ऐसी खबरें आ रही थी कि शरद यादव की पार्टी से विदाई तय है. ऐसे में अब कोई बड़ा फैसला संभावित है.
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक जेडीयू ने शरद यादव को अनुशासनात्मक कार्रवाई की दी चेतावनी दी है. उन्हें पार्टी से निलंबित किया जा सकता है और उनका राज्यसभा नेता का पद भी छीना जा सकता है. जेडीयू में राज्यसभा का नया नेता चुनने पर विचार किया जा रहा है. दूसरी तरफ शरद यादव के बिहार दौरे के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. आपको बता दें कि शरद यादव बिहार में तीन दिन तक करीब सात जिलों में दो दर्जन से भी अधिक जगहों पर वह जनता से सीधा संवाद करेंगे. हालांकि राज्य की सत्ताधारी जेडीयू के नेताओं ने अपने पूर्व अध्यक्ष के इस कार्यक्रम से किनारा किया हुआ है.
बिहार जेडीयू के अध्यक्ष ने वशिष्ठ नारायण सिंह पहले ही कह चुके हैं कि उनका या उनकी पार्टी का इस कार्यक्रम से कोई लेना-देना नहीं है. उनके इस पूरे दौरे को पार्टी के खिलाफ बताते हुए वशिष्ठ नारायण सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी ये गतिविधियां अगर जारी रहीं तब पार्टी भविष्य में कोई भी निर्णय ले सकती है. इसका मतलब साफ़ है कि नीतीश ने देर-सवेर अब शरद से राजैनतिक सहयोगी का संबंध विच्छेद करने का अब मन बना लिया है.
आपको बता दें कि बुधवार को जेडीयू ने शरद के करीबियों के हटाने का काम शुरू कर दिया. इसका एक नजारा सबसे पहले तब दिखा जब पार्टी के महासचिव अरुण श्रीवास्तव को इस आधार पर निलंबित कर दिया गया कि उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के निर्देश के बाबजूद राज्य सभा चुनाव में अपनी मर्जी से पोलिंग एजेंट बहाल किया. अरुण, शरद के करीबी हैं, ये बात किसी से छिपी नहीं है.