2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले के आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी ने दावा किया है कि जांचकर्ताओं ने योगी आदित्यनाथ एवं अन्य हिंदू नेताओं को भी इस मामले में घसीटने का प्रयास किया था। चतुर्वेदी वर्तमान में जमानत पर हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हिंदू कार्यकर्ताओं को गलत तरीके से फंसाया गया है। पूर्व की कांग्रेस-राकांपा सरकार ने भगवा आतंकवाद का सिद्धांत साबित करने और अल्पसंख्यकों को संतुष्ट करने के प्रयास के तहत यह कदम उठाया था।
चतुर्वेदी ने कहा, 'पूछताछ के दौरान मुझसे आरएसएस और उसके प्रमुख मोहन भागवत के साथ जुड़ाव के बारे में पूछा गया। योगी आदित्यनाथ के बारे में भी सवाल पूछे गए थे। उन लोगों ने मेरे माध्यम से उन्हें घेरने की कोशिश की थी।'
विस्फोट मामले की जांच का काम शुरू में महाराष्ट्र एटीएस के पास था। बाद में इसे एनआइए को सौंप दिया गया। एनआइए की विशेष अदालत ने पिछले महीने चतुर्वेदी और दूसरे आरोपी सुधाकर द्विवेदी उर्फ शंकराचार्य को जमानत दे दी। चतुर्वेदी एवं अन्य पर आतंकी हमले की योजना बनाने के लिए हुई बैठक में शामिल होने का आरोप है। नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और करीब 100 लोग घायल हुए थे।