निकाय चुनाव अखिलेश के पास खुद को साबित करने का मौका

Update: 2017-10-28 02:02 GMT

सपा ने निकाय चुनाव के लिए हर जिले में अपने विधायकों, पूर्व विधायकों व अन्य नेताओं को प्रभारी बना कर वहां कैंप करने को कहा है।' टिकट तय करने के लिए प्रभारियों से कहा गया है कि मेयर व पार्षद छोड़कर बाकी निकायों में स्थानीय स्तर पर एक प्रत्याशी पर सहमति बना लें। ' मेयर व पार्षद के लिए तीन-तीन प्रत्याशियों के नाम मुख्यालय भेजें।

 निकाय चुनाव के लिए अखिलेश ने खुद पूरी कमान संभाल रखी है।

अब अखिलेश , सांसद ¨डपल यादव, पार्टी के दूसरे बड़े नेता चुनाव प्रचार में उतरेंगे और उनके निशाने पर भाजपा सरकार का काम होगा। ' सपा अपनी पिछली सरकार के विकास कार्यों को जनता के बीच खास तौर पर फोकस करेगी।

समाजवादी पार्टी के लिए निकाय चुनाव खुद को साबित करने का मौका बन कर आया है। सपा के लिए चुनौती है कि विधानसभा चुनाव में बने भाजपा के आपार जनसमर्थन में सेंधमारी कर अपने पक्ष में माहौल बना पाती है या नहीं। विधानसभा में करारी हार के सदमे से उबरने के बाद सपा अब कई मोचरें पर तैयारी कर भाजपा से दो-दो हाथ करने को तैयार दिखती है।
अखिलेश यादव ने पार्टी की कमान भी पूरी तरह अपने नियंत्रण में कर ली है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव द्वारा पूरी तरह बेटे के पक्ष में आने के बाद तो पार्टी में विरोध के स्वर भी काफी धीमे हो गए हैं। पार्टी को अब इस बात की तसल्ली है कि जिस अंतर्कलह के बीच उसने विधानसभा चुनाव लड़ा और नुकसान उठाया वैसी नौबत अब निकाय चुनाव में नहीं होगी।
शिवपाल यादव भी अब खुद को पार्टी का अनुशासित सिपाही बता रहे हैं लेकिन सपा मुखिया के सामने टिकट को लेकर खासी मुश्किलें भी हैं। भाजपा के बाद सपा में ही निकाय चुनाव के टिकट के लिए दावेदारों की भीड़ है। कार्यकर्ताओं में उत्साह इसलिए भी है क्योंकि विधानसभा चुनाव में सपा का कांग्रेस से गठबंधन रहा, जिसका सपा को कोई फायदा नहीं हुआ लेकिन अब सपा अकेले बूते ही निकाय चुनाव मैदान में कूदने जा रही है। सपा की कोशिश है कि इन चुनावों में पिछली अखिलेश सरकार के कामों को जनता के बीच ज्यादा मजबूती से ले जाया जाए।

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