RBI ने दिया सस्ते कर्ज का तोहफा, घटेगी ईएमआई, रेपो रेट में .25 फीसदी की कटौती

Update: 2016-10-04 10:47 GMT

रिजर्व बैंक गवर्नर ऊर्जित पटेल ने अपनी पहली क्रेडिट पॉलिसी में आम जनता को तोहफा दे दिया है। रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरों की समीक्षा में ब्याज दर में कटौती कर दी है। रेपो रेट में  .25 फीसदी की कटौती कर दी है। इसके बाद रेपो रेट 6.50 से घटकर 6.25 रह गया है। 

आरबीआई की यह पहली ऐसी नीति है जिसमें मौद्रिक नीति कमेटी ने दर तय की है। इससे पहले ऐसे फैसले पूरी तरह से आरबीआई गवर्नर पर निर्भर होते हैं। मौद्रिक नीति समिति के सभी छह सदस्यों ने नीतिगत ब्याज दर में कटौती के पक्ष में मत दिये।

आरबीआई का कहना है कि खुदरा मुद्रास्फीति मार्च 2017 तक 5.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है, इसके इससे ऊंचे रहने का भी जोखिम बना हुआ है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिये जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 7.6 प्रतिशत पर बरकरार रखा। 

 

रेपो रेट में होगी कटौती इस पर था संक्षय

रेपो रेट में कटौती होगी की नहीं इसको लेकर विशेषज्ञों में अलग-अलग राय थी। कोई कह रहा था कि कटौती की जाएगी,कोई के कह रहा था नहीं की जाएगी। इसपर एक्सिस  बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य का कहना था कि अभी महंगाई की दर कम है। इसलिए ब्याज दर में कटौती की गुंजाइश बनती है। उनका कहना था कि इस साल सामान्य मॉनसून है, जिससे महंगाई नियंत्रण में रहेगी।

वहीं, पूंजीगत व्यय भी कम है। लेकिन दिक्कत की बात यह है कि विकास दर कम है। मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक मौद्रिक नीति में क्या हो सकता है  इस बात का पता लगाने के लिए 18 बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बीच सर्वेक्षण किया गया था। इसमें 14 बैंकों ने बताया था कि मंगलवार को भारतीय  रिजर्व बैंक रेट घटा सकता है।

वहीं, अन्य बैंकों का कहना है कि रेट में बदलाव नहीं होगा। क्रेडिट पॉलिसी तय करने वाली समिति के पैनल में डॉ. पटेल के अलावा रिजर्व बैंक के दो अधिकारियों और सरकार द्वारा नामित तीन शिक्षाशास्त्री शामिल हैं।

कमेटी में आरबीआई गवर्नर (वर्तमान में ऊर्जित पटेल), डिप्‍टी गवर्नर और मौद्रिक नीति के इंचार्ज आर. गांधी, केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित बैंक के अफसर माइकल पात्रा के अलावा सरकार द्वारा नियुक्‍त इंडियन स्‍टैटिस्टिकल इंस्‍टीट्यूट के प्रोफेसर चेतन घाटे, दिल्‍ली स्‍कूल ऑफ इकॉनमिक्‍स की निदेशक प्रो. पामी दुआ और आईआर्इएम अहमदाबाद के प्रोफेसर डॉ. रविंद्र एच ढोलकिया शामिल हैं। आरबीआई की तरफ से ब्याज दरों में कटौती का इंतजार बाजार के लिए खत्म हो गया है। अब देखना होगा की बाजार के स्तर में कितना बदलाव होगा।

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