पुण्य की कमाई के लिए पंचकोशी परिक्रमा पर संत-महात्मा और अफसर, संगम पर सविधि पूजन के साथ हुआ शुभारंभ
महाकुंभ नगर (प्रयागराज) जाने-अनजाने में हुई गलतियों के प्रायश्चित और पुण्य की कमाई के लिए सोमवार को संतों-अफसरों ने संगम पर सविधि पूजन-अर्चन के साथ पंचकोशी परिक्रमा की शुरुआत की। सदियों पुरानी महाकुंभ की इस परंपरागत परिक्रमा का नेतृत्व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी और जूना अखाड़े के संरक्षक और अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरी गिरि ने किया। अखाड़ा परिषद और मेला प्रशासन के अफसरों की देखरेख में यह परिक्रमा पांच दिन चलेगी। इसमें प्रमुख तीथों की परिक्रमा की जाएगी।
पंचकोशी परिक्रमा की शुरुआत संगम तट पर गंगा स्नान और पूजन से हुई। अखाड़ा परिषद के संतों ने संगम में डुबकी लगाकर परिक्रमा के लिए ईश्वर का आह्वान किया। संगम पर पूजा-अर्चना के बाद संतों ने श्रद्धालुओं को परिक्रमा का महत्व बताया। पंचकोशी परिक्रमा में तीर्थों और पवित्र स्थलों की यात्रा शामिल है। संतों और श्रद्धालुओं ने संगम स्नान और पूजन के बाद अक्षयवट, पातालपुरी, और मौजगिरि मंदिर का दर्शन किया। प्रथम दिन यात्रा ने हरिहर गंगा आरती के पास स्थित दत्तात्रेय शिविर में विराम लिया।
अगले चार दिनों में परिक्रमा के दौरान अन्य प्रमुख तीर्थों भरद्वाज आश्रम, नागवासुकि मंदिर, अलोपीबाग और काली सड़क पर स्थित मंदिरों का दर्शन किया जाएगा। यह परिक्रमा प्रयागराज के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को श्रद्धालुओं के सामने प्रस्तुत करने में सहायक बनेगी। अखाड़ा परिषद और मेला प्रशासन ने पंचकोशी परिक्रमा के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं। परिक्रमा मार्ग को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखा गया है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
परिक्रमा मार्ग पर पेयजल और चिकित्सा सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है। मेला प्रशासन ने संतों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस के साथ स्वयंसेवकों की भी तैनाती की है। जूना अखाड़े के संरक्षक हरि गिरि ने बताया कि यह परिक्रमा न केवल। आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों से भी जोड़ती है। श्रद्धालुओं को इसमें बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए। परिक्रमा में सैकड़ों महिलाएं, युवा शामिल हुए। उनका कहना था कि पंचकोशी परिक्रमा का हिस्सा बनना सौभाग्य की बात है।