जो उर्दू के खिलाफ वे हिंदी के भी विरोधी - मिश्र
बौद्धिक सभा के अध्यक्ष और समाजवादी चिंतक दीपक मिश्र ने कहा कि यह बजट पिछले बजटों की तरह कर्ज बढ़ाऊ और चंद पूंजीपतियों के आगे घुटना टेकू बजट है । इस बजट से उत्तर प्रदेश पर कर्ज और बढ़ेगा । पहले से ही यूपी पर 8 लाख 16 हजार 926 रुपए का कर्ज है । भाजपा की सरकार बनते समय प्रति व्यक्ति कर्ज 16 हजार 9 सौ 73 रुपए था जो बढ़ कर 31 हजार 147 रुपए हो गया था । सकल राज्य घरेलू उत्पाद का एक तिहाई से अधिक प्रदेश की ऋणग्रस्तता है , ऐसे में इतने भारी भरकम बजट की बजाय संतुलित बजट की आवश्यकता थी , इससे प्रदेश की आर्थिक अवलंबता बढ़ेगी । यह बजट तुलसी और महात्मा गांधी प्रतिपादित रामराज्य, राममनोहर लोहिया के समाजवाद और पंडित दीनदयाल के एकात्म मानव दर्शन में निहित आर्थिक चिंतन के प्रतिकूल है ।
सांविधानिक व संसदीय अध्ययन संस्थान के सदस्य श्री मिश्र ने कहा आठवीं अनुसूची में शामिल उर्दू का विरोध असंवैधानिक है । उर्दू की खुली खिलाफत परोक्ष रूप से हिंदी का विरोध है । हिंदी के उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द ने उर्दू में सोजे वतन से लेखकीय पारी शुरू की थी । भाषा से धर्म से जोड़ना अज्ञानता है इससे सांप्रदायिकता की विभाजनकारी सोच को बल मिलेगा । तमिलनाडु के हिंदू व मुसलमान तमिल में बात करते हैं न कि हिंदी या उर्दू में । रामचरित मानस में अनेकों बार उर्दू के शब्द आए हैं । आजादी की लड़ाई हिंदी और उर्दू ने मिलकर लड़ी है । उर्दू के विरोध से भारतीयता का उदार पक्ष कमजोर होगा , जो हमें बर्दाश्त नहीं । पंडित रामप्रसाद बिस्मिल जैसे शहीदों ने हिंदी के साथ साथ उर्दू को गुलामी से लड़ने का हथियार बनाया था ।
(समाजवादी बौद्धिक सभा )