'आम दर्शक या पाठक ही तय करता है कला के रचनात्मक तत्त्व'

Update: 2025-03-12 12:18 GMT


नई दिल्ली, 12 मार्च। गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लै ने कल साहित्य अकादमी द्वारा एशिया के सबसे बड़े साहित्य उत्सव साहित्योत्सव-2025 में आयोजित गोष्ठी ‘साहित्य और अन्य कला रूपों के बीच साझा स्थल’ की अध्यक्षता की। इस सत्र के अन्य वक्ता थे प्रसिद्ध चित्रकार जतिन दास, प्रख्यात रंग निर्देशक एमके रैना, संस्कृति मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव रंजना चोपड़ा, कला उद्यमी संजय के रॉय एवं सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यकर्ता और लेखक संदीप भूतोडिया। सुश्री रंजना चोपड़ा ने कहा कि कला के सभी संबद्ध रूप एक दूसरे के पूरक हैं और उसके देखने वाले को एक रूप को दूसरे की मदद से समझने में सहायता करते हैं। जतिन दास ने कला की शिक्षा देते समय एक समावेशी दृष्टिकोण की वकालत की। उन्होंने कहा कि एक समग्र दृष्टिकोण छात्रों को एक संपूर्ण विचार देता है। एमके रैना ने निर्देशक और अभिनेता के रूप में थिएटर में अपने काम के दौरान अपने अनुभव साझा किए और उन घटनाओं का हवाला दिया जहाँ कला का एक रूप दूसरे के सार्थक प्रदर्शन के लिए एक अच्छा संवाहक बन गया। संजय के. रॉय ने कहा कि कला का अर्थ एक मौलिक विचार की संभावना होना है। किसी भी कला रूप में अधिकांश विचार किसी अन्य कला रूप से उधार लिए गए होते हैं। संदीप भूतोड़िया ने बिहार के टिकुली और मधुबनी, दक्षिण भारत के पट्टचित्र जैसे भारत भर के विविध कला रूपों का संदर्भ देते हुए बताया कि कैसे ये कलाएँ महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों के साहित्य को चित्रित करती हैं। अंत में राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लै ने कहा कि एक लेखक आम लोगों के लिए लिखता है, न कि शासक या सरकार को खुश करने के लिए। उन्होंने कहा कि आम पाठक ही रचनात्मकता के काम का सही निर्णायक होता है, चाहे वह साहित्यिक, दृश्य, अभिव्यंजक या कला का कोई अन्य रूप हो।

साहित्य अकादमी के सचिव ने गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लै एवं संस्कृति मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव एवं वित्तीय सलाहकार रंजना चोपड़ा को अकादेमी द्वारा वर्ष 2024 में प्राप्त की गई महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों के बारे में लगाई गई चित्र प्रदर्शनी का निरीक्षण भी करवाया।

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