सनातनी आस्था का विदेशों में प्रभाव ; आस्ट्रेलिया में पिता की मौत, बेटे ने काशी में किया तर्पण

Update: 2025-03-21 02:20 GMT

मोक्ष की भूमि, अर्पण की भूमि और तर्पण की भूमि है काशी। यहां पर पितरों के मोक्ष के लिए पूजन करने के लिए देश-विदेश से लोग आते रहते हैं। पुरखों को नमन और तर्पण करने का काम काशी की इस धरती पर किया जाता है। इस बार आस्ट्रेलिया नागरिक मैथ्यू काशी में चर्चा का विषय हैं। उन्होंने बुधवार को गंगा घाट पर तर्पण किया और कहा अब हर साल बनारस आकर अपने पिता का श्राद्ध कर्म करेंगे।

काशी पूजन के लिए सबसे उत्तम स्थान

काशी पहुंचे मैथ्यू ने कहा कि वे हर साल काशी में पितृ कार्य करने आयेंगे। उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। उन्होंने काशी आने का कारण बताते हुए कहा कि यह एक धार्मिक स्थल है। इसलिए यह किसी भी कर्म-कांड के लिए बेहतर स्थान है। लेकिन, पितृ कार्य और श्राद्ध कार्य यहां पर स्पेशल किए जाते हैं, जिसके लिए यह उत्तम स्थान है। बनारस मोक्ष धाम है।

पिता हिंदू माता थी क्रिश्चियन

मैथ्यू अपने बातचीत में बताया कि उनके पिताजी एक हिंदू थे। और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में ही शादी की थी उन्होंने बताया कि मेरी माता क्रिश्चियन थी मेरे पिता ने मेरी माता से कहा था कि जब उनका निधन होगा तो उन्हें दफन न करके अग्नि से जलाया जायेगा। लेकिन मेरी माता ने ऐसा नहीं किया उसे समय मैं बहुत छोटा था अब जब हमने सनातन के बारे में जाना उसके बारे में बेहद करीब से जानकारी हासिल की तो मैं अपने पिता के तर्पण के लिए काशी आया हूं।

हिन्दू धर्म से प्रेम हो गया है

ऑस्ट्रेलिया से वाराणसी मैथ्यू ने बताया कि उन्हें सनातन धर्म से प्रेम हो गया है उन्होंने यह भी बताया कि बहुत से लोगों ने सनातन धर्म को अपनाया है मेरी भी इच्छा है उन्होंने बताया कि मेरे देश में बहुत से ऐसे लोग हैं जो भारत के संस्कृति से प्रेम करते हैं। वह इन दोनों काशी में है उनके गाइड ने बताया कि अब तक उन्होंने काशी के सभी प्रमुख मंदिरों में दर्शन पूजन किया है और अगले एक सप्ताह तक वह काशी में भ्रमण करेंगे।

तर्पण कराने वाले तीर्थ पुरोहित ने क्या कहा

तीर्थ पुरोहित पंडित बलराम मिश्र ने बताया कि यह ऑस्ट्रेलिया से बनारस आए थे इन्हें अपने पिताजी का तर्पण करना था गंगा घाट पर बाकायदा तर्पण कराया गया। इन्होंने उसे दौरान पूरे विधि विधान को समझा उनके साथ मौजूद गाइड ने उन्हें इंग्लिश में सभी पूजा के विधान को समझाया ।

लगभग 1 घंटे तक विधि विधान से उन्होंने पूजा अर्चना की मां गंगा का प्रणाम किया। बलराम मिश्रा ने बताया कि उनकी इच्छा है कि सनातन धर्म को अपनाए इसलिए वाराणसी में भ्रमण करके उसके बारे में विस्तार से जानकारी हासिल कर रहे हैं।

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