हाई कोर्ट के निर्णय 'वक्ष स्पर्श करना दुष्कर्म नहीं' पर बढ़ा विवाद, राज्यसभा सांसद रेखा शर्मा ने जताई आपत्ति
प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश के इस निर्णय पर कि नाबालिग के वक्ष का स्पर्श और वस्त्र का नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म का अपराध नहीं है, पर राज्यसभा सदस्य रेखा शर्मा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि यह गलत है और राष्ट्रीय महिला आयोग को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। गुरुवार को समाचार एजेंसी एएनआइ से बात करते हुए उन्होंने कहा-’अगर न्यायाधीश संवेदनशील नहीं हैं, तो महिलाएं और बच्चे क्या करेंगे? उन्हें इस कृत्य के पीछे की मंशा को देखना चाहिए। यह पूरी तरह से गलत है और मैं इसके खिलाफ हूं।”
इंटरनेट मीडिया पर भी यूजर इस निर्णय को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने इसे दुष्कर्म का अपराध न मानते हुए ‘गंभीर यौन उत्पीड़न’ माना है। कासगंज के स्पेशल जज (पाक्सो कोर्ट) का समन आदेश संशोधित करते हुए नए सिरे से समन करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म के आरोप में जारी समन विधिसम्मत नहीं है। कासगंज के पटियाली थाने में आइपीसी की धारा 376 और पाक्सो अधिनियम की धारा 18 के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए याची आकाश, पवन व अशोक को तलब किया गया था।
कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आरोपितों के खिलाफ धारा 354-बी आइपीसी (निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के मामूली आरोप के साथ पाक्सो अधिनियम की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाया जाए। कोर्ट ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कहा, ‘पवन और आकाश के खिलाफ लगाए गए आरोप और मामले के तथ्य इस मामले में दुष्कर्म का अपराध नहीं बनाते हैं।’
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपियों ने 11 वर्षीय पीड़िता के वक्ष पकड़े, उसका नाड़ा तोड़ दिया और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की, लेकिन राहगीरों/गवाहों के हस्तक्षेप के कारण उसे छोड़ कर मौके से भाग निकले।