प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने आम आदमी को कैसे बनाया उद्यमी, ₹33 लाख करोड़ रुपये के लोन से पलटी किस्मत
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना को आज 10 साल पूरे हो गए। केंद्र सरकार की इस योजना की शुरुआत आज ही के दिन 8 अप्रैल, 2015 को हुई थी। साल 2014 में पहली बार देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने अगले ही साल इस योजना को शुरू कर दिया था। ये पीएम मोदी की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन लोगों के लिए पैसों की व्यवस्था करना है, जो पैसों की कमी से अपना बिजनेस शुरू नहीं कर पाते हैं। कोलेटरल फ्री और आसानी से मिलने वाले मुद्रा योजना लोन ने जमीनी स्तर पर एंटरप्रेन्योरशिप के एक नए युग की नींव रखी। मुद्रा योजना के तहत, देश के करोड़ों लोगों ने सरकार से लोन लेकर अपना बिजनेस शुरू किया, जिससे उनकी किस्मत और जिंदगी दोनों पलट गई।
बिंदु की यूनिट में रोजाना बनते हैं 500 झाड़ू
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मुद्रा योजना के लाभार्थियों के साथ बातचीत की, जहां कई कहानियां सुनने को मिलीं। योजना की एक लाभार्थी बिंदु ने बताया कि उन्होंने रोजाना 50 झाड़ू बनाने के साथ अपने काम की शुरुआत की थी। वे अब रोजाना 500 झाड़ू बनाने वाली यूनिट का नेतृत्व कर रही हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने नॉन-कॉर्पोरेट, नॉन-एग्रीकल्चरल, माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइज को इंस्टीट्यूशनल लोन देकर इन्हें खुले दिन से सपोर्ट किया है, जो भारत की इकोनॉमी की रीढ़ हैं। स्टिचिंग यूनिट्स और चाय की दुकानों से लेकर सैलून, मैकेनिक की दुकानों और मोबाइल रिपेयरिंग बिजनेस तक, करोड़ों माइक्रो-एंटरप्रेन्योर्स ने पूरे आत्मविश्वास के साथ इस कॉर्पोरेट वर्ल्ड में कदम बढ़ाए हैं।
32.61 लाख करोड़ रुपये के 52 करोड़ से ज्यादा लोन सैंकशन
अप्रैल 2015 में लॉन्च के बाद से प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने 32.61 लाख करोड़ रुपये के 52 करोड़ से ज्यादा लोन दिए हैं। योजना के जरिए अब बिजनेस में होने वाला ग्रोथ अब सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि ये छोटे शहरों और गांवों तक फैल रहा है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की ही देन है कि अब गांव के लोग शहरों में नौकरी करने के बजाय अपने परिवार के साथ रहकर ही बिजनेस शुरू कर रहे हैं और बाकी लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं।
2025 तक 30 लाख करोड़ के पार पहुंच सकता है एमएसएमई लोन
एसबीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एमएसएमई लोन वित्त वर्ष 2014 में ₹8.51 लाख करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में ₹27.25 लाख करोड़ हो गया। इतना ही नहीं, वित्त वर्ष 2025 में इसके ₹30 लाख करोड़ को पार करने का अनुमान है। बैंकों के कुल लोन में एमएसएमई लोन की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2014 में 15.8 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में लगभग 20 प्रतिशत हो गई, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में इसकी बढ़ती भूमिका को दिखाता है।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत दिए जाते हैं 4 तरह के लोन
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 4 तरह के लोन दिए जाते हैं। शिशु कैटेगरी के तहत 50 हजार रुपये तक, किशोर कैटेगरी में 50,000 रुपये से 5 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है, तरुण कैटेगरी में 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये का लोन दिया जाता है और तरुण प्लस कैटेगरी में 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है। तरुण प्लस के तहत सिर्फ उन उद्यमियों को ही लोन दिया जाता है, जिन्होंने तरुण कैटेगरी के तहत पिछले लोन का लाभ उठाया है और पूरा लोन चुकाया है।
बैंकों का एनपीए जबरदस्त कंट्रोल में
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के साथ सबसे अच्छी बात ये रही कि बैंकों से लोन लेने वाले ज्यादार उद्यमियों ने समय से लोन चुका दिया। वित्त विभाग के सचिव एम. नागराजू ने बताया कि इस योजना के तहत सरकारी बैंकों का ग्रॉस एनपीए दिसंबर 2024 तक 3.6% है। इसका सीधा मतलब ये हुआ कि लोन लेने वाले लोग, समय पर लोन का पैसा लौटा रहे हैं।