अभय सिंह।।।।
आते नही है बाज।
देते रहते बयान।।
उचित नही चलन।
लेना होगा संज्ञान।।
झाड़ लेते हैं पल्ला।
उनके आलाकमान।।
पूछने पर बनते है।
मानो है वो नादान।।
जहरीली वो वाणी।
उगलते है हर बार।।
मौन साधे मालिक।
क्या वाकई लाचार?
न अंकुश है जुबां पर।
कोई न रोकने वाला।।
जाने किस गुरूर में।
बन जाते मतवाला।।