संग संग तस्वीर की।
चर्चा है ये चहुओर।।
कोई कसता है तंज।
दिखा गजब प्रसंग।।
मिलना जो प्रायः।
रही खिलाती गुल।।
सार्वजन्य है जीवन।
यही होता है वसूल।।
तस्वीरों के आशय।
चर्चा हो रही जोरदार।।
माहिर हैं जो लोग।
कर रहे हैं स्वीकार।।
कंधे पर रख हाथ।
देता है खूब संदेश।।
थे जो गलतफहमी।
उनको लगा है ठेस।।
अभय सिंह। ...........