Janta Ki Awaz

भोजपुरी कहानिया - Page 27

रीडिंग अखबार.... (हंसी मजाक)

9 July 2017 6:17 AM GMT
सच कहा जाए तो रविवार दिवस शिरोमणि है। इसकी महत्ता का प्रतिपादन हम जैसे सामान्य साहित्य के विद्यार्थियों के लिए कदापि संभव नहीं।पूरे सप्ताह का यही एक...

सुनो ! सावन फ़िर से आ गया है...

9 July 2017 5:38 AM GMT
याद है न वो बरखा जब तुम्हारे हाथों ने मेरे हाथों को चूमने की बेइंतहा कोशिश की थी ? उस पार तुम इस पार हम और दोनों के दरम्यां वो कांच की दीवार... बूंदों...

एक कहानी ऐसी जो दिल को छू ले :...हिला दिया माट्साब ....

9 July 2017 4:33 AM GMT
यूं तो इस फ़ानी दुनिया में ढंग का ट्यूटर मिलना ही आकाश कुसुम मिलने के बराबर है लेकिन इस मामले में हम थोड़े सौभाग्यशाली सिद्ध हुए कि आज तक जो भी मिला...

मरना है तो पढ़ो...

8 July 2017 2:47 AM GMT
संसार बड़ा परिवर्तनशील है। लोगों की नीयत बदल रही है, गाँव बदल रहे हैं, देश बदल रहा है, पिछले महीने अपने मोबाइल में जो टैरिफ डाला था कमबख्त वो भी...

"हरिहर चूड़ी"

7 July 2017 6:06 AM GMT
पूनम जईसे ही रसोइया घर से बाहर निकलली उनकर मोबाइल के घंटी बाज उठल। मोबाइल अन्दर कमरा में रहे। जाके देखली त रिंकी के पापा कालिंग आवत रहे। उनका शादी के...

सुनो तिवराइन !! तुमको क्या लगता है ?

7 July 2017 3:57 AM GMT
सुनो तिवराइन !! तुमको क्या लगता है ? तुम हमारी मासूम मोहब्बत के मानक तय करते रहोगी और हम अपनी शुद्धता का प्रमाण देते फिरेंगे ?? अरे ई...

"एक रहेन सधुआ, और एक रहेन बधुआ"

5 July 2017 7:34 AM GMT
सधुआ बधुआ दोनों भाई थे। जिसमें सधुआ जी सीधे साधे टाइप के प्राणी थे, लेकिन बधुआ बिलकुल उलट व्यवहार का। पिताजी के गुजर जाने के बाद, घर...

बेबी को बेस पसंद है....

5 July 2017 3:56 AM GMT
साहब सिंह वर्मा अपने समय में फिजिक्स के बहुत अच्छे अध्यापक थे, उन्होंने रिटायर होने के बाद हमारे कस्बे में पहला मान्टेसरी स्कूल खोला था-चन्द्रा...

बकरी की छाँह.....

4 July 2017 2:30 AM GMT
इधर कुछ दिनों से जिन्दगी जैसे 'मोदी' हो गई है। दौड़ना भागना दुनिया भर का और हासिल कुछ भी नहीं। इसीलिए इधर 'मनमोहन' टाइप हो गया था।इधर बरसात ने भी...

मेंहदी रो रंग लागो रे पिया...

3 July 2017 3:27 PM GMT
प्रोफेसर जयदेव सर पटना सिने अकादमी के अध्यक्ष हैं।मगध विश्वविद्यालय में सायकाॅलोजी के आचार्य हैं, फिल्मों के समीक्षक हैं... बहुत कुछ हैं एक साथ।...

आत्महत्या- लेखक - विशाल "अज्ञात"

3 July 2017 12:58 PM GMT
ठक ठक ठक... थप थप थप...श्रेया दरवाजा खोलो !! ठक ठक ठक.. अरे यार श्रेया दरवाजा खोल भी दो ? बहुत थक गई हु..!! सात से आठ बार दरवाजा खटखटाने के बाद...

(कहानी)...... अम्मा........पापा कहाँ! :रिवेश प्रताप सिंह

30 Jun 2017 3:16 AM GMT
ईंट भट्ठे पर मुंशीगीरी में पैसा तो बस कहने को था लेकिन सुबह से शाम तक केशव के लिए वह एक सम्मान की जगह थी। चार लोग रोज़ सलाम करते थे। घर पर डेढ़ बीघा...
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