पाकिस्तान ने जाधव वाले केस में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस की बात मानने से इनकार कर दिया है ये कहते हुए कि ये उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है।
आपको बताया जाता है कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस या ICJ एक ऐसा झुनझुना है जो हमलोग थाम के बजाते रहते हैं। अमेरिका कई बार इसकी बातों को मानने से इनकार कर चुका है। चीन ने अभी ही इनकार किया था साउथ चाइना सी वाले मामले में।
ये यूएन टाइप की बॉडी है। ये बस है ताकि कभी एलियन अटैक हो और किसी एक को बात करने भेजा जा सके तो यूएन चीफ़ को लोग भेज देंगे। इसके अलावा ये एक मजाक है। यूएन की हालत लीग ऑफ़ नेशन्स टाइप ही है। इसकी बात मानने को बड़े राष्ट्र बाध्य नहीं होते।
अब तो पाकिस्तान जेसी छिछोरा देश भी इनकार कर रहा है। मैं जाधव वाले केस में बहुत ज़्यादा आशान्वित नहीं हूँ। ऐसा नहीं कि मैं नहीं चाहता कि वो वापस आए। मैं तो इस बात से ख़ुश हूँ कि सरकार अपने एक नागरिक के लिए अमेरिका टाइप सबसे आख़िरी कोर्ट तक तो गई। अब इस्लामाबाद तक फ़ाइंडर उड़ाकर, कमांडो उतारकर अमेरिकन स्टाइल में इवेकुएशन तो नहीं कर सकती। पर जितना किया वो काबिलेतारीफ है।
हो सकता है कि पाकिस्तान जाधव को फाँसी दे दे। उसके बाद क्या होगा, वो पाकिस्तान नहीं जानता। क्योंकि अगर भारत डिप्लोमैटिक चैनल इस्तेमाल कर रहा है, तो दूसरी तरफ परसों तक हॉविट्जर गन भी मँगवा रहा है। उस पर 'चीन के लिए' नहीं लिखा हुआ, वो पाकिस्तान साइड भी जा सकता है।
और हाँ, सिंधु जल समझौता की दलाली भी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ही करती है।
अजीत भारती