धारावाहिक लेखन : ..मैं एक जनता हूं /मेरी आवाज़ जनता की आवाज .... सुनील कुमार सुनील की कलम से
...मैं एक जनता हूं /मेरी आवाज़ जनता की आवाज है/मेर हर शब्द/चीख/आक्रोश/निराशा/इस लोकतांत्रिक देश के नागरिक की ही है क्योंकि मैं जैसा हूं /जब तक अस्तित्व में हूं केवल तभी तक इस देश में मैं और मुझमे मेरा देश अस्तित्व में है...!!!
...मैं ही कभी दुष्यंत कुमार की आवाज बना था जब दुष्यंत कुमार की आवाज़ ने मुझे नुमाईश में पहचाना था चीथडो में क्योंकि मैं तब भी खतरे में था आज भी मैं खतरा महशूस कर रहा हूँ...!!!
...मुझे समझना है कि मैं कैसा हूं /मुझे देखना है कि मुझे कैसा होना चाहिए लेकिन मैं कैसा हूं /हां लोकतंत्र में मैं लोकतंत्र का एक अंश हूं /पर सच है कि मैं ही लोकतंत्र हूं क्योंकि मैं इस वक्त संशय और दुविधा के चौराहे में हूं...!!!