राम राम फेसबूक के लेमचूस - नमकीनों !
कुछ मुद्दा बचा है कि सब चुस-चुसा लिये अकेले अकेले ?
दरअसल मुद्दा के लोका लोकी में हम पिछुवा जाते हैं तनिक ! आदते से लाचार हैं हम ।
एक बात सुने हैं महाराज !
फ़लाना जी को बड़ी दरद हो रहा ??
अरे मर्द को दर्द कब से होने लगा ?
56 इंच में तो आग का दरिया भरा था न ?
पिघल बहुत जल्दी जाता है ई मैटेरियल ससुर ! खैर दिल तो दिल होता है...और इस दरदिया के लिये राष्ट्रवाद की हरदिया तो है ही ।
आपको बुझा रहा क्या ? हमको तो बुझा ही नहीं रहा कि फ़लाना जी घण्टा बजा रहे कि घण्टा दिखा रहे ? खैर कुछ्वु करें महादेव तो महादेव हैं । हर हर....!
फ़िलहाल में हमको ये भी बताते हुये बहुत ख़ुशी हो रही कि धरती श्रेष्ठ सरकार के राज काज़ में 5 गो मनुवादी सब का संहार हुआ साथ ही मुलाजिमों ने सबका साथ सबका विकास कड़ी के तहत इस संहार को समाजहित में जोड़ने का अभूतपूर्व कार्य किया ।
इसी बीच दलितvsदलित का मैच रोमांचक दौर में पहुँच चुका है और यहाँ से मैच जीतने का एक नया लोकतांत्रिक राजनीतिक सूत्र प्रतिपादित हुआ है :
"दलितों का दलितों के लिए दलितों द्वारा शासन ही लोकतंत्र है "
कट्टपा से लेकर बबुआ तेजु के पपा तक दलित रस में डूब के उतरा रहे हैं।
और अंत मे तुम सुनो चोभनों !
तुमलोगो को बहुत चुलक मची है ज्ञान की गुल्लक भरने की न ?
अरे एगो ऊपर नीचे वाली कहावत तो सुने ही होगे ? तो नीचे ही रहोगे , समझे न !
अभी चवन्नीछाप पिरेम ही लिखो तुमलोग ।
उ का है कि बड़ी लाइलाज बीमारी है ई तिवारी , एकबार जो पकड़ ले न तो छोड़ता नहीं तो तनी अपनी बकैती की मिसाइल का मुँह मोड़ के...तनिमुनि संभाल के पोजिशन लीजियेगा सरकार वरना 12वी की भौतिकी फिर से पढ़नी पड़ जायेगी ।
धन्यवाद ।
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संदीप तिवारी 'अनगढ़'
"आरा"