संसार के चर -अचर जानते है कि बाबा के पाकिस्तान पर बबीता रडियो का ही एकाधिकार है।बबीता पर अपना सबकुछ हार जाने वाले बाबा दग्ध प्रेम के मणिहार हैं । उनका प्रेम जब कुलांचे भरता है तो रतसर से सीधा जय हनुमान बोलकर बबीतपुर धाम पहुँच जाता है ।
आलोक बाबा एक रूमानी व्यक्ति हैं । बुढ़ापे का असर होता ही कहाँ है बुढ़ापे में । दिल से जवान आलोक जी की इन्द्रियाँ मानसिक जोर मारती हैं ।
जिला पंचायत चुनावों की गहमा गहमी है । महिला आरक्षित सीट थी। जनसंपर्क में आलोक के पास भी प्रत्याशी पहूँचने लगे।आलोक महिला प्रत्याशियों को देखकर पीपर के पतई जैसे डोलने लगते। सबसे कहते - हम आप ही पर मोहर मारूँगा।
परन्तु हाय रे प्रेम ! हाय रे छलावा !
बाबा की बबीता ने भी चुनाव लड़ना तय कर लिया । बबीता की छरहरी काया ,उसका वेणी बंधन, खंजन नयन भुजलताओं का विशाल विस्तार आलोक के कामतरू को पुष्पित पल्लवित कर जाता है।यह प्रेम चीन के भूटान प्रेम से भी अधिक गहरा है।
बबीता नाम ही मरकर अमर होने का मुक्ति मार्ग है।
जीय में बंधा लाउडस्पीकर चिल्ला रहा है -
आदरणीय सम्मानित बंधुओं, माता बहनों भाइयों
कर्मठ और निर्भिक प्रत्याशी को भारी मतों से विजयी बनाकर अपना विकास करें ।
बबीता देवी ! चुनाव निशान झाड़ू
बाबा के मन का बबीतेशी मयूर नाचने लगा ।
आलोक का उत्साह बढ़ता ही जा रहा था।
देश दुनिया की बातें करते करते अपनी आर्थिक कठिनाइयों को भी बता दिया बबीता ने।आलोक का दिल रो उठा ।आँखें समन्दर हो गईं और हाथ दानवीर कर्ण ।
बबीता का फोन आता तो बाबा भुसहुल की ओर दौड़ जाते।बाबा का अखंड विश्वास है कि संसार के समस्त गूढ रहस्य भुसहुल में ही मिलता है ।
जिला मुख्यालय से बबीता देवी नें तत्काल आलोक से 10 हजार रूपये की गुहार लगाई।अपने एक कार्यकर्ता को पैसा देने को कहा । आलोक जी नें पैसा दिया तो उनका कामना तरू हरियाली से भर गया।
यह सिलसिला कुछ दिनों बाद खत्म हुआ।बबीता देवी चुनाव हार गयीं बाबा का भुसहुल हृदय विलाप कर उठा ।
फोन भी बंद हो गया ।
हताश, निराश
आलोक ने देवी बबीता के आवास पर अकेले जा पहूँचे।काल बेल बजाई ।
बबीता देवी ने दरवाजा खोला और अचंभित होकर पूछा-
अरे! पण्डी जी आप ?
आँखों में उन्मादी सुरमा लगाये आलोक बबीता देवी को यूँ ताक रहे थे जैसे सावन का बेंग पानी को ताकता है।गधा हरियाली को ताकता है , परदेशी बालम घरवाली को ताकता है। बबीता देवी नें ताड़ लिया कि बाँभन भूखा है ।
कहिए पण्डी जी ! कैसे आना हुआ?
आलोक नें तनिक भावुक हो कर कहा - मुझे आपके हारने से जो चोट पहुँची है वो शायद चैंपियन ट्राफी हारने वाले विराट हिन्दुस्तान को भी नहीं पहुँची होगी । चीन भले भूटान के रास्ते पूर्वोत्तर भारत ले ले,कश्मीरी कश्मीर ले ले मुझे दुःख नहीं होता लेकिन आपकी मुस्कान लेने वाले को मेरा दिल माफ नहीं करेगा।
अल्ला कसम ! दिल टूट गया ।
बबीता ने कहा जाने दो बाबा!
मैं दलित मीरा कुमार सही।
मुझे संतोष है कि बाँभन मेरे लिए खड़ा रहा।
आलोक बोले - कसम दलाई लामा कि अबकी लामा को बलिया बुलाकर बलिया वालों को नहीं सजवा दिये तो कहना।
बबीता ने आलोक को सांत्वना दिया और कहा - आपने सहयोग किया । इसका बहुत आभार । देखिए - मेरे पति शीघ्र ही आने वाले हैं।
राष्ट्रपति चुनाव है और हम हैं दलित तो हमारा नाम अपनी पार्टी की ओर से जाना तय हुआ है।
आलोक ने जब बिडियो का नाम सुना तो थरथर काँपने लगे। ऊदर प्रदेश की हलचल को पाकिस्तान प्रदेश नें शंखनाद कर पुष्ट कर दिया ।
काँपते हुए बोले- लेकिन मेरे रूपये !
कैसे रूपये ? बबीता दहाड़ी ।
अरे ! भाग जाओ यहाँ से और पता करो कि सुधीर, सर्वेश पंकज कहाँ हैं?
तुम्हें महादलित बनाने वाले कसाई कौन हैं ?
नरेंद्र पाण्डेय
बलिया