देशवासियों को था ।
जिसका इंतजार ।।
देर से ही सही पर ।
दुरुस्त आया क्षण ।।
मुकर्रर हो गई तारीख ।
बस फाँसी का इंतज़ार ।।
माननीय न्यायालय का ।
स्वागत योग्य है कदम ।।
इन दरिंदों को नही ।
है जीने का आधिकार ।।
मिलेगा निर्भया को ।
अंतत: अब इंसाफ ।।
बच नहीं सकता कोई ।
घिनौना करके पाप ।।
बुरी नजर रखने वालों ।
को यह है कड़ा संदेश ।।
कायम जब तक ।
रहेगा कानून का राज ।।
सर न उठा पायेंगे दरिंदे ।
हश्र होगा यही लटकाये जायेंगे जिंदे ।।