हमसब हैं राष्ट्र भक्त ।
सभी का है एक ही कर्तव्य ।।
आओ ले लो शपथ ।
भूल जाओ वो सभी पथ ।।
प्रधान किये आह्ववान ।
हो जाओ सजग और सावधान ।।
मत हो अधीर,महामारी गंभीर ।
घर पर रुक कर सब पेश करे नजीर ।।
मानवता के लिए है एक ही धर्म ।
बना कर दूरी,रख लो संयम ।।
हो कर संकल्पित,पालन करें राष्ट्रव्रत ।
ठहर जाओ घर तुम इतना कर दो रहम ।।
अनवरत डटे हुए हैं निभाते हुए फ़र्ज ।
क्यों हम हो गए हैं इतने अधीर, खुदगर्ज ।।
डटकर कर्मवीर, निस्वार्थ दे रहे हैं सेवायें ।
अपनों के खातिर उत्पनं न करें बाधाएँ ।।
हाथ जोड़कर है अनुनय-विनय आप समझ जायें ।
एक ही है मंत्र दूरि रखें बनाएँ हारेगा कोरोना वादा अपना निभायें ।।