गंगो-जमन की सोच के फर्जी दुकान पर।
पत्थर बरस रहे तुम्हारे संविधान पर।
जो थूक रहे डॉक्टर की देह पर हुजूर
वे थूक रहे हैं तुम्हारी आन-बान पर।1।
इस दौर का दोषी नीरा पत्थर ही नहीं है,
झाँको तो अपने दौर के फर्जी गुमान पर।2।
छोटी सी मुसीबत में ही दुनिया ने देख ली
किसका है एहसान क्या हिन्दूस्तान पर।3
घर के तेरे हालात सरेआम हो गए,
किस मुँह से गरजते हो पाकीस्तान पर।4।
पाँचवाँ शेर अब भी नहीं है।
सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।