बंद है मंदिर,मस्जिद भी ।
गुरुद्वारों पर लगे रहेंगे ताला ।।
थोड़ी-सी क्या मोहलत मिली ।
मानो कोई प्रतियोगिता होने वाली ।।
लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा है ।
आस लगायें लोग खड़े हैं ।।
भले ही लाठी-डंडे है खाये ।
बस एक बोतल अमृत मिल जाये ।।
आखिर ये क्या हो रहा है ?
सोच में पड़ गया होगा उपरवाला ।।
मधुशाला तेरी सदैव जय हो ।
तेरे दर पर आने के ना कोई भय हो ।।
ना हो कोई रोक-टोक ।
भले हो जाये नोक-झोंक ।।
प्यास उनकी बूझ जाती ।
तरस कम से कम दिखलाती ।।