लाचार,बेबस मजदूरों को ।
घर तक उन्हें पहुंचाये है ।।
पैदल,तंगहाल मुसीबत में ।
बनकर खड़े हुए है ढाल ।।
भीषण इस महामारी में।
भी फर्ज अपना निभाये हैं ।।
'सूद' सहित मानवता का ।
कर्ज सोनू सूद चुकाये है ।।
मसीहा बनकर संकट में ।
चेहरों पर खुशियां लाए हैं ।।
ना जाने कितनी माँओ से ।
वो दुआएं झोली आये है ।।