इस्तीफे पर अड़े शिवपाल, अखिलेश ने किया नामंजूर

Update: 2016-09-16 01:17 GMT


अब बारी अखिलेश की थी
अब बारी जवाब देने की अखिलेश यादव की थी. चाचा शिवपाल के पास जितने भी मंत्रालय थे वो उनसे वापस ले लिए. इसकी चिट्ठी देर रात राज्यपाल को भी भेज दी और फैसले के बारे में ईमेल से पत्रकारों को भी बता दिया गया.

दरअसल अमर सिंह और अखिलेश के रिश्ते शुरु से ही अच्छे नहीं रहे. 2012 में जब अखिलेश को यूपी का मुख्यमंत्री बनाया गया तो उन्होंने अखिलेश की काबलियत पर ही सवाल उठा दिए थे.

चाचा-भतीजे के बीच दूरी और शिवपाल-अमर सिंह की करीबी उस वक्त दिखी जब रामगोपाल यादव का जन्मदिन समारोह था. शिवपाल अमर सिंह के साथ आए और मंच पर मौजूद पीछे की कुर्सी पर जाकर बैठ गए. बाद में मान-मन्नौवल के बाद दोनों आगे वाली कुर्सी पर आकर बैठे.

अमर सिंह के पार्टी में आने बाद मुख्तार अंसारी की पार्टी में विलय जब शिवपाल सिंह यादव करवाया तब चाचा-भतीजे में सीधी टक्कर हो गयी. विलय होने के बाद अखिलेश ने फैसले को पलटवा दिया.

अखिलेश ने बाहरी शख्स का शिगूफा छोड़कर दो तरह की रणनीति अपनाई है. एक शिवपाल जो कर रहे है वो बाहरी शख्स के इशारे पर हो रहा है इसमें मुख्यमंत्री की भूमिका साफ नहीं है दूसरी तरफ ये संकेत दे रहे हैं सपा मुखिया उस बाहरी शख्स को दंडित करे जो परिवार में जहर फैला रहा है.


Similar News