नमस्कार! मैं हूँ धकाधक सिंह और आप देख रहे हैं बन्द टीवी!

Update: 2020-07-17 13:15 GMT

नमस्कार! मैं हूँ धकाधक सिंह और आप देख रहे हैं बन्द टीवी! आज हम खड़े हैं उस पुल के साथ, जो कल टूट गया था। तो आइए हम मिस्टर पुल से जानने का प्रयास करते हैं कि आखिर उनके साथ हुआ क्या था...

- हाँ तो मिस्टर पुल! आप पहले यह बताइये कि टूटने के बाद आपको कैसा लग रहा है?

- देखिये! हमें गर्व हो रहा है। हमारी छाती चौड़ी हो गयी है, मस्तक ऊंचा हो गया है, हमारे बाजू फड़क रहे हैं... हमें गर्व है अपने उस हिस्से पर जो कल पानी के साथ बह गया। आज उसी की देन है जो आपके जैसे हजारों लोग हमारे दरवाजे पर हमें देखने आये हैं। हर चैनल पर हमारी ही चर्चा है, हर आदमी हमें दया, करुणा, श्रद्धा, सम्मान की दृष्टि से देख रहा है। सुबह से अब तक मेरे पचहत्तर इंटरव्यू हो चुके हैं, आप छिहत्तरवें हैं। इसलिए हम कहना चाहेंगे कि हमारा वह हिस्सा बहा नहीं है, अमर हो गया है। हम उसे शत शत नमन करते हैं।

- हैं....? यह आप क्या बोल रहे हैं मिस्टर पुल? मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूँ।

- तो तुम बताओ ससुर, आदमी हो कि पजामा? अबे इधर पानी हमारा पिछवाड़ा तोड़ कर धुंआधार बहे जा रहा है, और तुम पूछ रहे हो कि कैसा लग रहा है? अबे हमारी दशा उस मुख्यमंत्री की है जिसके विधायकों को विपक्षी दल ने तोड़ लिया हो। कब सरकार गिर जाएगी पता नहीं, और तुम पूछते हो कि लग कैसा रहा है? लगने के नाम पर हमें केवल मोशन लग रहा है, वह भी लूज वाला... समझे न?

- अच्छा अच्छा! यह छोड़िये, आप हमें यह बताइये कि आप टूटे कैसे?

- देखिये, हम टूटे क्योंकि हमारा दिल टूट गया। एक ऐसा समय था कि पानी मेरी दीवानी थी, और आज का हाल यह है कि वही पानी मेरे पिछवाड़े पर धक्का मार रही है। मेरा सम्पर्क पथ नहीं टूटा, मेरा दिल टूटा है। मैं करूँ तो क्या करूँ?

- नहीं नहीं! मैं यह पूछ रहा हूँ कि आप एकाएक टूट गए, या धीरे धीरे टूटे? मतलब पहले नीचे से टूटे या ऊपर से टूटे? दाहिने से टूटे या बाएं से?

- देखिये पानी ने दाँयी ओर से धक्का मारना शुरू किया था। पहले तो कुछ देर बड़े प्रेम से....

-रुकिये रुकिये! आपने कहा कि पानी ने दायीं ओर से धक्का दिया, इससे यह सिद्ध होता है कि पानी दक्षिणपंथी है। सचमुच इस देश मे दक्षिणपंथी ताकतें इतनी मजबूत हो गयी हैं कि आदमी तो आदमी पुलों का भी देश में रहना कठिन हो गया है। खैर... तो आप अपने टूटने के लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं? सरकार को या ठेकेदार को, या दक्षिणपंथी ताकतों को...

- मेरी क्या बिसात जो मैं किसी को दोषी मानूँ? मैं लोकतंत्र का पुल हूँ, मेरी उंगली की औकात बस इतनी है कि वह evm दबाएगी, वह किसी पर उठ नहीं सकती। वैसे भी जिस शब्द की तुक सरकार से मिल रही हो उसपर उंगली नहीं उठाई जा सकती। जैसे ठेकेदार, पत्रकार, हवलदार, समझदार, जमींदार, सार... और भी हैं, आप सोच के देख लीजिए।

- अरे आप सरकार के बारे में कुछ तो कहिये... सरकार की ही जिम्मेवारी थी न आपकी देखभाल करने की? क्या वह दोषी नहीं?

- देखिये मेरे हिसाब से दोषी केवल और केवल पानी है। उसी ने धक्का मार कर मेरा हिस्सा तोड़ा है। सरकार के बारे में तो मैं केवल इतना कहूँगा,

" यह जनतंत्र की गोटी है, सट से उलट जाती है..

कहानी इश्क की लम्बी भी पल में सलट जाती है।

कभी सरकार से उलझो तो इतना सोच कर उलझो

अब अच्छी सड़क पर भी एक्सयूबी पलट जाती है।"

आगे तो आप समझ ही रहे हैं। अब मैं और कुछ नहीं बोलूंगा। नमस्कार...

- तो ये थे मिस्टर पुल, जिनका कुछ हिस्सा कल बह गया था। बन्द टीवी के लिए कैमरामैन जाहिल फर्नांडिस के साथ मैं धकाधक सिंह...

सर्वेश तिवारी श्रीमुख

गोपालगंज, बिहार।

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