मामला जो हाथरस।
देश हुआ है शर्मसार।।
दरिंदगी की हद।
बेटियों पर अत्याचार।।
गर्त में जा चुका है।
हमारा ये समाज।।
आए दिन जो पतन।
खत्म लोक हुआ लाज।।
खुल ना सके पोल।
कर दिया था बेजुबान।।
हैवानियत का अंदाजा।
आखिर चली गई जान।।
मृत हो चुकी वेदना।
दानव का रूप।।
कब तक रहेंगे?
आखिर हम चुप।।
आत्मा दिया झकझोर।
भारी हुआ मन।।
उत्थान की बात।
जरूरी है मंथन।।