लो एक एक कर बदला।
शहीद हुए हैं जवान।।
व्यर्थ न जाए।।
उनका यह बलिदान।।
अपराधियों को दो सजा।
ऐसी रूह कांप जाए।।
कौन दे रहा असलहे?
पता भी ये लगाएं।।
आ चुका है समय।
कठोर हो करवाई।।
उठाएं हर वो कदम।
रास्ता अलग अपनाएं।।
नक्सलियों के योजना।
पर पानी फिर जाए।।
दुबारा वो फिर से।
सर न उठा पाएं।।
अभय सिंह ................