अभय सिंह
बन्द हो गई जीविका।
चौपट हुआ व्यवसाय।।
भगवान भरोसे हैं लोग।
खत्म नौकरी एवं आय।।
स्थिर है बीमारी।
टस से मस न हिल।।
देख वीभत्स दृश्य।
दहल जा रहा दिल।।
शिथिल है सरकार।
दिख ना रहा ढब।।
साफ व्यक्त हो रहा।
स्थिति भी अजब।।
आन पड़ी है आफत।
दे न रहा कोई साथ।।
मुसीबत की इस घड़ी में।
सभी रास्ता लेते हैं काट।।
मनुष्यता भरती आह।
खाने को पड़े है लाले।
एक एक दिन गुजर रहें।
जिंदगी ऊपरवाले के हवाले।।